क्या Bihar में चलेगा Tejashwi Yadav का जादू?

एग्जिट पोल दे रहा इंडिया गठबंधन को बंपर सीटें

Patna: Bihar: लोकसभा चुनाव 2024 का मतदान समाप्त हो चुका है और अब 4 जून को इसके नतीजे घोषित किए जाएंगे. चुनाव के समाप्त होते ही विभिन्न एग्जिट पोल के आंकड़े भी सामने आ गए हैं जो बिहार की 40 लोकसभा सीटों के लिए किए गए हैं.

Bihar में इंडिया गठबंधन को 6 से 7 सीटें मिलने का अनुमान है

अधिकांश एग्जिट पोल के मुताबिक बिहार में एनडीए को 30 से 34 सीटें मिल सकती हैं जबकि इंडिया गठबंधन को 6 से 7 सीटें मिलने का अनुमान है. लेकिन कई एग्जिट पोल के बीच एक ऐसा एग्जिट पोल भी है जिसने बिहार में इंडिया गठबंधन को बंपर सीटें दी हैं. बिहार में इंडिया गठबंधन को 24 से 26 सीटें मिल सकती हैं जबकि एनडीए को बड़ा नुकसान होने की संभावना जताई गई है. इस एग्जिट पोल में एनडीए को मात्र 14 से 16 सीटें मिलने का अनुमान है.

Bihar News: एग्जिट पोल के अनुसार अन्य दलों को 0 से 2 सीटें मिल सकती हैं

इस प्रकार बिहार में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है जहां एक ओर अधिकांश एग्जिट पोल एनडीए की बढ़त दिखा रहे हैं अब देखना होगा कि 4 जून को वास्तविक परिणाम क्या तस्वीर पेश करते हैं. एग्जिट पोल के अनुसार अन्य दलों को 0 से 2 सीटें मिल सकती हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में बिहार में तेजस्वी यादव ने प्रमुख रूप से चुनावी अभियान का नेतृत्व किया. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव का जादू चल गया है.

सातों चरणों में एनडीए के कोर वोटर धीरे-धीरे बिखर गए

वरिष्ठ पत्रकार नवेंदू का कहना है कि यह एग्जिट पोल काफी हद तक सही साबित हो सकता है. इस बार का चुनाव बिहार में अप्रत्याशित रूप से पलट गया है. सातों चरणों में एनडीए के कोर वोटर धीरे-धीरे बिखर गए हैं. सातवें चरण के परिणाम आने पर यह आंकड़े और भी बदल सकते हैं. तेजस्वी यादव ने चुनाव से पहले ही कहा था कि बिहार में इस बार लोकसभा चुनाव के परिणाम अप्रत्याशित होंगे. उन्होंने बताया कि इस बार चुनाव जातीय जनगणना के बाद हो रहे थे जिससे उम्मीदवारों के चयन में विशेष ध्यान दिया गया था.

एनडीए के उम्मीदवारों के चयन में कमी आई जबकि इंडिया गठबंधन ने जातीय जनगणना का पूरा लाभ उठाया. इसका परिणाम यह हुआ कि एनडीए के कोर वोटर विशेषकर कुशवाहा समुदाय बिखर गए.

Bihar Politics: तेजस्वी यादव के नेतृत्व ने बिहार की राजनीतिक स्थिति को पूरी तरह

इस चुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व ने बिहार की राजनीतिक स्थिति को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है. अब 4 जून को आने वाले परिणाम ही बताएंगे कि एग्जिट पोल कितने सही थे और क्या तेजस्वी यादव का जादू सच में चला है. तमाम चैनलों के एग्जिट पोल के सामने आने के बाद बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है. एग्जिट पोल के नतीजों को देखते हुए नीतीश कुमार की लोकप्रियता में गिरावट की भी चर्चा होने लगी है.

एग्जिट पोल में एनडीए को 40 सीटें मिलती नहीं दिख रही हैं

दरअसल एग्जिट पोल के अनुसार एनडीए की 40 में 40 सीटों के दावे पर ग्रहण लगता दिख रहा है. अब सवाल उठ रहा है कि बिहार में एनडीए की सीटों में कमी का कारण कहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनाधार में कमी तो नहीं है. तमाम एग्जिट पोल में बिहार में एनडीए की सीटों में कमी का संकेत दिया गया है. किसी भी एग्जिट पोल में एनडीए को 40 सीटें मिलती नहीं दिख रही हैं जिससे बिहार के राजनीतिक हलकों में इसकी वजह तलाश की जा रही है.

इस बार के चुनाव में एनडीए की सीटों में कमी का मुख्य कारण क्या है इसे लेकर विश्लेषक विभिन्न संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं. कुछ का मानना है कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता में गिरावट इसकी एक प्रमुख वजह हो सकती है. अन्य का कहना है कि इंडिया गठबंधन ने बेहतर रणनीति अपनाई है जिससे एनडीए के वोटर बिखर गए हैं. 4 जून को चुनाव परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि बिहार की राजनीतिक तस्वीर कितनी बदली है और एनडीए की सीटों में कमी का असली कारण क्या है.

प्रचार के दौरान रोजगार को एक बड़ा मुद्दा बना

राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडे का कहना है कि कारणों की खोज की जाएगी लेकिन यह भी सच है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंडर करंट ने बिहार में एनडीए की नैया पार लगाई है. हालांकि नीतीश कुमार की पार्टी को एग्जिट पोल में जो नुकसान दिखाया जा रहा है वह न सिर्फ जदयू बल्कि पूरे एनडीए के लिए चिंता का विषय है खासकर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर. अरुण पांडे का मानना है कि तेजस्वी यादव ने पूरे प्रचार के दौरान रोजगार को एक बड़ा मुद्दा बनाया जिसने युवाओं को आकर्षित किया.

इसके साथ ही उन्होंने बिहार में विकास का श्रेय भी लिया और जनता को यह बताने में सफल रहे कि रोजगार से लेकर विकास तक उनके 17 महीने की सरकार में शामिल होने की वजह से ही हुआ. इस परिप्रेक्ष्य में एग्जिट पोल के परिणाम जदयू और एनडीए दोनों के लिए गंभीर चिंतन का कारण बन सकते हैं. तेजस्वी यादव की रणनीति और उनकी अभियान की शैली ने उन्हें युवाओं और अन्य मतदाताओं के बीच एक मजबूत समर्थन दिलाया है जिससे एनडीए को नुकसान झेलना पड़ा है.

विधानसभा चुनावों की तैयारी के लिए एनडीए को इन पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना होगा और अपनी रणनीतियों में आवश्यक परिवर्तन करने होंगे.

 

 

 

 

 

 

 

 

यह भी पढ़े: संताल में गरजीं Kalpana Soren, बताया कैसे मिली हेमंत की आवाज बनने की ताकत

Exit mobile version