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BJP से चिढ़ाने की वजह छीनी Tejashwi Yadav ने, लोकसभा चुनाव परिणाम ने क्या दिया

Patna: Tejashwi Yadav के बहाने कहें या सहारे बिहार में कांग्रेस की नैया भी पार लग गई है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों में से 39 सीटें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सांसदों को मिली थी.

केवल एक सीट कांग्रेस के पास आई थी और वह भी मुस्लिम बहुल आबादी के कारण. इस बार इंडी एलायंस बना लेकिन वह बिहार में प्रभावी नहीं हुआ. महागठबंधन में जितने दल थे उससे भी कम ही दल इस बार थे. इंडी एलायंस के नाम पर आम आदमी पार्टी, शिवसेना जैसी कोई पार्टी यहां चुनाव में नहीं उतरी. मतलब महागठबंधन ही यहां चुनाव में उतरा. महागठबंधन के नेता लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने ही इस बार बिहार की कमान संभाली थी.

वे एक महीने तक व्हीलचेयर पर ही सभाएं करने के लिए जाते रहे अपनी बातें बताते रहे और लोगों को समझाते रहे. आज यह परिणाम सामने है. तेजस्वी यादव ने इस जीत के साथ खुद को चिढ़ाने की वजह भी खत्म कर दी है.

बिना संसद वाली पार्टी… अब नहीं कह सकेंगे भाजपा नेता: Tejashwi Yadav

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव जब भी देश की बात करते या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते तो भारतीय जनता पार्टी के नेता विशेष रूप से यह कहते थे कि जिस पार्टी का एक सांसद नहीं है उसकी बात का कोई महत्व नहीं है. एक भी सांसद नहीं होने का खामियाजा राज्यसभा चुनाव तक में राजद ने झेला लेकिन उससे ज्यादा तंज कसे जाने की बात तेजस्वी को कचोटती थी. अब वह तंज दूर हो गया है.

तेजस्वी अब शान से न केवल अपनी पार्टी के सांसदों का नाम गिना सकते हैं बल्कि कांग्रेसी सांसदों को बनाने में अपने मतदाताओं की हिस्सेदारी का भी तार्किक हिसाब दे सकते हैं. तेजस्वी ने पूरे चुनाव एक तरह से महागठबंधन के अकेले सिपहसलार की भूमिका निभाई.

कांग्रेस के नंबर वन नेता राहुल गांधी कांग्रेस की चुनिंदा सीटों पर प्रचार के लिए आए लेकिन तेजस्वी ने न कांग्रेस देखा और न वामदल की सीट अपनी पार्टी के साथ इन सभी के लिए भी खुले दिल से और सारे कष्ट में प्रचार के लिए निकलते रहे. इस दौरान उन्होंने मछली और केक की पार्टी से भाजपा को मुद्दा भी दिया लेकिन उसका नुकसान कुछ नहीं हुआ.

Tejashwi Yadav को हर बार उभरने का मौका नीतीश ने ही दिया

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही हर बार भतीजे को उभरने का मौका दिया. तेजस्वी ठीक से उभरे 2017 के प्रकरण से और अब 2024 के प्रकरण से. नीतीश ने जब भी महागठबंधन का दामन था वहां से उनके निकलते ही तेजस्वी और ज्यादा ताकतवर या समझदार हो गए.

इस बार का ही देखें तो जनता दल यूनाईटेड के नेता और बिहार के सरकारी दस्तावेज भले मानें कि रोजगार या कोई भी योजना मुख्यमंत्री के नीतिगत फैसले से आए लेकिन तेजस्वी यादव जनता के बीच यह बताने में ज्यादा कामयाब रहे कि यह उनकी वजह से हुआ. तेजस्वी ने 28 जनवरी 2024 के पहले रही महागठबंधन सरकार के कामकाज को अपना बताकर वोटरों के अंदर अपने प्रति जो भाव जगाया रिजल्ट के रूप में वही ईवीएम से निकला.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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