Nishikant Dubey: लोकसभा में गरमाया माहौल, चुनाव सुधारों और SIR पर चर्चा के दौरान निशिकांत दुबे और पप्पू यादव के बीच तीखी नोकझोंक

नई दिल्ली: लोकसभा में बुधवार को चुनाव सुधारों और SIR (Standardised Information Reporting) प्रणाली पर चल रही महत्वपूर्ण बहस के दौरान सदन का माहौल अचानक गर्मा गया।

बीजेपी सांसद Nishikant Dubey और पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव के बीच तीखी बहस ने चर्चा को कुछ समय के लिए बाधित कर दिया। यह घटना तब हुई जब पप्पू यादव ने अपने वक्तव्य में एक मुस्लिम मतदाता का नाम लिया, जिस पर निशिकांत दुबे ने कड़ी आपत्ति जताई और उन्हें बैठने के लिए कहा।

Nishikant Dubey: लोकसभा में गरमाया माहौल, चुनाव सुधारों और SIR पर चर्चा के दौरान निशिकांत दुबे और पप्पू यादव के बीच तीखी नोकझोंक

चुनाव सुधारों पर गंभीर बहस में अचानक आई तीखी तकरार

सदन में शुरू हुई चर्चा का विषय था—देश में चुनाव प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने के लिए SIR और अन्य सुधारों की आवश्यकता। सत्ता और विपक्ष दोनों ही पक्षों के नेता अपनी-अपनी राय रख रहे थे।

इसी दौरान पप्पू यादव जब क्षेत्रीय मुद्दों और मतदाता वर्गों पर बात कर रहे थे, तो उन्होंने एक मुस्लिम मतदाता का नाम उदाहरण के रूप में लिया। यह सुनते ही बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे तुरंत खड़े हो गए और इसे गलत बताते हुए जोरदार विरोध जताया।

“बैठ जाओ… ज्यादा मत…”,  दुबे के तेवर हुए सख्त

दुबे ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए पप्पू यादव को तीखे अंदाज़ में कहा “बैठ जाओ, ज्यादा मत…!” हालाँकि वाक्य पूरा होने से पहले ही स्पीकर ने हस्तक्षेप किया और दोनों सांसदों से संयम और शालीनता बनाए रखने की अपील की।

निशिकांत दुबे का कहना था कि सदन में किसी विशेष समुदाय या धार्मिक पहचान वाले मतदाता का नाम लेकर बयान देना गलत परंपरा है और इससे बहस का स्वरूप सांप्रदायिक दिशा ले सकता है।

पप्पू यादव ने दिया जवाब, कहा मैं सिर्फ मुद्दे की बात कर रहा था

पप्पू यादव ने दुबे की टिप्पणी का विरोध करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य किसी समुदाय को लक्षित करना नहीं, बल्कि अपने क्षेत्र में मौजूद समस्याओं का वास्तविक चित्र पेश करना था।

उन्होंने कहा कि चुनाव सुधारों पर चर्चा तभी सार्थक होगी जब सांसद जमीनी हकीकत और मतदाताओं के अनुभवों पर बात करने की अनुमति पाएँ।

लोकसभा अध्यक्ष ने दिलाया अनुशासन, बहस को आगे बढ़ाया

स्पीकर ने दोनों नेताओं को शांत कराते हुए कहा कि बहस का मकसद किसी भी तरह की धार्मिक या सामुदायिक पहचान को केंद्र में लाना नहीं होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि सदन के नियमों के अनुसार किसी भी चर्चा में ऐसे उदाहरण सावधानी से दिए जाने चाहिए।

इसके बाद बहस ने फिर अपना स्वरूप संभाला और देश में चुनाव सुधारों को लेकर महत्त्वपूर्ण सुझावों व प्रस्तावों पर चर्चा जारी रही।

चुनाव सुधारों की बहस, मुद्दे अब भी केंद्र में

इस बहस में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए जैसे

यही वजह थी कि सदन में आज का दिन खासा महत्वपूर्ण माना जा रहा था। हालाँकि निशिकांत दुबे और पप्पू यादव के बीच हुई इस तीखी नोकझोंक ने कुछ समय के लिए बहस की दिशा बदली, लेकिन सदन ने जल्दी ही अनुशासन वापस पाकर चर्चा को आगे बढ़ाया। चुनाव सुधारों की बहस देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और आज की घटनाओं ने इस बात को फिर याद दिलाया कि संसद में शालीनता और मर्यादा बहस की आधारशिला है।

 

 

 

 

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