Jharkhand: झारखंड में बिजली उपभोक्ताओं पर महंगाई की मार, 2026-27 के लिए JBVNL ने टैरिफ में 59% तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा

Jharkhand: झारखंड में बिजली उपभोक्ताओं के लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण हो सकता है। झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) ने वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए बिजली दरों में 59 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत होता है तो राज्य में घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक सभी श्रेणियों के उपभोक्ताओं पर सीधा आर्थिक बोझ पड़ेगा।

Jharkhand: झारखंड में बिजली उपभोक्ताओं पर महंगाई की मार, 2026-27 के लिए JBVNL ने टैरिफ में 59% तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा

क्या है JBVNL का प्रस्ताव? क्या रही बढ़ोतरी की मुख्य वजहें

 

JBVNL ने झारखंड विद्युत नियामक आयोग (JSERC) के समक्ष वार्षिक टैरिफ याचिका दाखिल की है। इसमें बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन, वितरण लागत और पिछले वर्षों के घाटे की भरपाई के लिए टैरिफ बढ़ाने की मांग की गई है। निगम का दावा है कि मौजूदा दरों पर बिजली आपूर्ति जारी रखना आर्थिक रूप से मुश्किल हो गया है। JBVNL द्वारा प्रस्तावित टैरिफ बढ़ोतरी के पीछे कई कारण बताए गए हैं-

निगम के अनुसार इन सभी कारणों से उसकी वित्तीय स्थिति कमजोर हुई है जिसे संतुलित करने के लिए टैरिफ संशोधन आवश्यक है।

 

किन उपभोक्ताओं पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?

यदि प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो इसका असर सभी वर्गों पर पड़ेगा, लेकिन घरेलू उपभोक्ताओं और छोटे व्यापारियों को सबसे ज्यादा झटका लग सकता है।

 

आम जनता की चिंता और प्रतिक्रिया

बिजली दरों में संभावित बढ़ोतरी को लेकर आम लोगों में चिंता बढ़ रही है। सामाजिक संगठनों और उपभोक्ता मंचों का कहना है कि पहले से महंगाई से जूझ रही जनता पर अतिरिक्त बोझ डालना उचित नहीं है। कई संगठनों ने मांग की है कि सरकार घाटे की भरपाई वैकल्पिक तरीकों से करे, न कि सीधे उपभोक्ताओं पर भार डालकर।

 

अब आगे क्या होगा?

JBVNL के इस प्रस्ताव पर झारखंड विद्युत नियामक आयोग सार्वजनिक सुनवाई करेगा। इसके बाद आयोग सभी पक्षों की दलीलों और आपत्तियों को सुनकर अंतिम फैसला लेगा। संभावना है कि आयोग प्रस्तावित बढ़ोतरी में कुछ संशोधन कर सकता है, लेकिन पूरी तरह खारिज होना मुश्किल माना जा रहा है।

झारखंड में बिजली दरों में 59 प्रतिशत तक संभावित बढ़ोतरी आम जनता के लिए बड़ा मुद्दा बन गई है। अब सबकी निगाहें नियामक आयोग के फैसले पर टिकी हैं जो यह तय करेगा कि उपभोक्ताओं पर कितना बोझ पड़ेगा और राहत की गुंजाइश कितनी होगी।

 

 

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