Barkagaon: Lumpy वायरस की चपेट में हजारीबाग बड़कागांव के कई पशु आने लगे हैं। इस कड़ी में पश्चिमी पंचायत अंतर्गत केरी गड़ा गांव के गोपालक ईश्वरी प्रसाद की एक गाय की मृत्यु हो गई है।
दूध व्यवसाय पर गाय की मौत होने के बाद असर पड़ने लगा है। लोग दूध की चाय की जगह काला और नींबू की चाय पीनी शुरू कर दी है।
Lumpy वायरस के चपेट में आए चार गाय
ईश्वरी प्रसाद जोकि केरी गड़ा गांव निवासी है उनके चार पशु Lumpy वायरस के चपेट में आ गए हैं। और एक गाय की मृत्यु हो गई। ईश्वरी प्रसाद 8 से ₹10000 खर्च करने के पश्चात भी अपनी गाय को नहीं बचा पाए। वही दो जानवर का इलाज अभी किया जा रहा है। और एक पशु की हालत बहुत गंभीर हो गई है।
सरकारी वेटरनरी डॉक्टर नहीं आते इलाज करने
विकास कुमार जो कि केरीगढ़ा निवासी है उन्होंने बताया कि बड़कागांव एवं केरेडारी प्रखंड में एक वेटनरी डॉक्टर है। जिस वजह से गांव में इलाज करने सरकारी चिकित्सक नहीं आते हैं। मजबूरन उन्हें प्राइवेट डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ रहा है। रंजन कुमार उर्फ गुड्डू का कहना है जिस पशु को कोई बीमारी नहीं है उसका दूध का सेवन लोग कर सकते हैं। इससे कोई खतरा नहीं होगा।
Lumpy वायरस इन गांवों में फैली है
बड़कागांव प्रखंड के टिकरी टांड, गोंदलपूरा, परेवातरी, गोंदलपुरा, कोइलंग, निमिया टोला, केरीगड़ा, उरेंज कॉलोनी निवासी श्याम कुमार रंजन के साथ कई लोगों के पशु भी इस बीमारी से मर गए हैं।
ऐसे करें अपने पशुओं का देखभाल
बड़कागांव पशु चिकित्सक डॉक्टर लाइसरम गोसाई सिंह ने इस संबंध में टेलीफोन पर बताया कि वायरस से बचाव और उपचार दो तरीके से किया जा सकता है। जानवरों की नियमित अच्छी तरह से साफ सफाई करें और संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से रोके। संक्रमण से बचाने के लिए नियमित रूप से नीम के पत्तों को जल मे उबालकर उसे ठंडा कर जानवरों को नहलाये।
वायरस का संक्रमण का प्रभाव तकरीबन 7 से 8 दिनों तक रहता है। इस दौरान जानवर को सेकेंडरी बीमारी का खतरा रहता है। इसी बीच बुखार सर्दी भूख ना लगाना आदि के लिए दवाई दिया जाता है। अब तक जितने भी मामले आए हैं ज्यादातर में जानवर ठीक हो चुके हैं।
यह भी पढ़े: Congress अध्यक्ष पद पर खड़गे निर्वाचित होने पर राजेश ठाकुर, आलमगीर आलम ने बधाई दी