
New Delhi: झारखंड की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री श्रीमती Shilpi Neha Tirkey ने दिल्ली में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यशाला में कहा कि यदि 5वीं अनुसूची वाले राज्यों में परिसीमन की प्रक्रिया जनसंख्या को आधार बनाकर की गई, तो इससे आदिवासी समाज को आरक्षण में नुकसान होगा।
दिल्ली में आज जातिगत जनगणना से आदिवासी समाज पर पड़ने वाले प्रभाव , चुनौती और समाधान पर आयोजित कार्यशाला में अपनी बात रखने का मौका मिला .
देश में परिसीमन को लेकर पर मेरा स्पष्ट मानना है कि अगर पांचवीं अनुसूची राज्यों में जनसंख्या को परिसीमन का आधार बनाया गया , तो आरक्षित सीटों… pic.twitter.com/MS9mC9YMBO
— Shilpi Neha Tirkey (@ShilpiNehaTirki) May 23, 2025
उन्होंने चेताया कि इससे आरक्षित सीटों की संख्या घटेगी, जो आदिवासी सुरक्षा और संरक्षण के सिद्धांतों के खिलाफ है।
जातीय जनगणना और आदिवासी समाज की चुनौतियों पर मंथन: Shilpi Neha Tirkey
“जातीय जनगणना से देश के आदिवासी समाज पर पड़ने वाले प्रभाव, चुनौतियां और समाधान” विषय पर आयोजित इस राष्ट्रिय कांग्रेस कार्यशाला में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी विशेष रूप से संबोधित किया। इसमें देशभर से आए कांग्रेस प्रवक्ताओं ने हिस्सा लिया।
मूल बातें जो Shilpi Neha Tirkey ने उठाईं:
- झारखंड में बाहरी आबादी बढ़ी है, पर आदिवासी जनसंख्या या तो घटी है या स्थिर है।
- परिसीमन यदि जनसंख्या आधारित होगा, तो आदिवासी आरक्षण प्रभावित होगा।
- जातीय जनगणना को कांग्रेस सामाजिक न्याय के उद्देश्य से आगे बढ़ाना चाहती है, पर बीजेपी और RSS इसे उलझा रहे हैं।
- आदिवासी समाज में जातीय व्यवस्था का कोई स्थान नहीं है — यह समाज समानता और एकता की मिसाल है।
- जनगणना में आदिवासियों की एकीकृत पहचान दर्ज की जानी चाहिए, न कि उन्हें उपवर्गों में विभाजित कर।
- देश में सरना धर्मावलंबियों को पहचान देने के लिए जनगणना में अलग कॉलम होना चाहिए।
Shilpi Neha Tirkey का दो टूक संदेश
“जब देश के किसी कोने में किसी आदिवासी पर हमला होता है, तो यह सिर्फ एक राज्य की नहीं, पूरे आदिवासी समाज की पीड़ा बन जाती है। हमारी सांस्कृतिक एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है।”