रांची: झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष Bandhu Tirkey ने कहा है कि झारखण्ड में नवगठित फिल्म विकास परिषद के सदस्यों में किसी भी आदिवासी सदस्य को मनोनीत नहीं करना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि संबंधित अधिकारियों की अदूरदर्शिता को भी दर्शाता है.
चिंता के साथ-साथ संवेदनशीलता और पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है: Bandhu Tirkey
श्री तिर्की ने कहा कि यह चिंता के साथ-साथ संवेदनशीलता और पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है क्योंकि जिन आदिवासियों और मूलवासियों के लिये झारखण्ड का गठन किया गया है, वहाँ भी यदि ऐसा परिषद गठित किया जाता है जिसमें आदिवासी न हों तो यह ना तो झारखण्ड के हित में है और ना ही यहाँ की कला-संस्कृति, भाषा-साहित्य और फिल्मों के हित में.
इस संदर्भ में मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को पत्र लिखकर श्री तिर्की ने इस मामले में अविलंब कार्रवाई करते हुए संबंधित अधिकारी को निर्देशित करने का आग्रह किया है.
झारखण्ड में 24 सदस्यीय फिल्म विकास परिषद का गठन किया गया है: Bandhu Tirkey
ज्ञातव्य है कि सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के विशेष सचिव के द्वारा जारी अधिसूचना के तहत झारखण्ड में 24 सदस्यीय फिल्म विकास परिषद का गठन किया गया है जिसके 24 सदस्यों में संबंधित सरकारी पदासीन अधिकारियों के अतिरिक्त जिन 19 सदस्यों को मनोनीत किया गया है उसमें एक भी आदिवासी नहीं है.
श्री तिर्की ने कहा कि परिषद के मनोनीत सदस्यों में जनजातीय समुदाय के एक भी व्यक्ति का नहीं होना अनेक सवाल खड़े करता है. उन्होंने कहा कि झारखण्ड की कला-संस्कृति और फ़िल्म निर्माण क्षेत्र भी बहुत समृद्ध रहा है और अनेक आदिवासियों ने अपनी अकेली क्षमता के बलबूते अपनी पहचान बनायी है पर इस परिषद के गठन में इस बात को भी नज़रअंदाज़ कर दिया गया.
आदिवासियों को इस परिषद में मनोनीत किया जाना चाहिये: Bandhu Tirkey
श्री तिर्की ने एक वैसे संतुलित परिषद के गठन पर जोर दिया है जिससे वह झारखण्ड की जन भावनाओं और यहाँ की जमीनी हकीकत के अनुसार सरकार की पारदर्शिता पूर्ण नीतियों को जमीनी स्तर पर लागू कर सके. उन्होंने कहा कि अविलंब कला-संस्कृति, भाषा-साहित्य और विशेष रूप से फिल्म-संगीत से जुड़े वैसे आदिवासियों को इस परिषद में मनोनीत किया जाना चाहिये जिससे यह परिषद झारखण्ड में प्रभावी रूप से काम कर सके.