Waqf Bill को राष्ट्रपति की मंजूरी, अब पूरे देश में लागू होगा नया कानून

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 (Waqf Bill) अब कानून का रूप ले चुका है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शनिवार देर रात इस विधेयक को मंजूरी दे दी, जिससे यह विधेयक अब पूरे देश में लागू हो गया है।

साथ ही, मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 को भी राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई है। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यह विधेयक संसद के दोनों सदनों में लंबी बहस के बाद पारित हुआ था। लोकसभा में करीब 12 घंटे और राज्यसभा में 13 घंटे तक इस पर मैराथन चर्चा हुई थी। अब राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद यह कानून अस्तित्व में आ गया है।

Waqf Bill: कानून का मकसद

सरकार के अनुसार, नए वक्फ कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग, अतिक्रमण और भेदभाव को रोकना है। साथ ही वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पंजीकरण, सर्वेक्षण और विवाद निपटान की प्रक्रिया को पारदर्शी और बेहतर बनाना भी इस कानून का हिस्सा है। यह कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है, बल्कि प्रबंधन सुधार के लिए जरूरी कदम है।

Waqf Bill: पुराना कानून खत्म

इस नए कानून के लागू होने के साथ ही मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को निरस्त कर दिया गया है। सरकार ने यह कदम संयुक्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर उठाया।

Waqf Bill : विपक्ष का विरोध

हालांकि, इस विधेयक को लेकर विपक्ष ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। कांग्रेस, एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में इस बिल की प्रति तक फाड़ दी थी। उन्होंने इसे मुसलमानों के खिलाफ साजिश करार दिया।

सरकार का पलटवार

गृह मंत्री अमित शाह ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह संसद द्वारा पारित कानून है, जिसे सभी को मानना होगा। उन्होंने कहा कि अगर 2013 में कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति में कठोर कानून नहीं बनाया होता, तो आज संशोधन की जरूरत ही नहीं पड़ती।

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने वक्फ कानून को इस तरह तैयार किया कि उसका फायदा भूमि माफियाओं को हुआ।

मंत्री किरेन रिजीजू की टिप्पणी

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि विपक्ष इस कानून को लेकर मुसलमानों के बीच डर का माहौल बना रहा है, जबकि भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मिसाल दुनिया में कहीं नहीं मिलती।

अब जब यह कानून बन चुका है, तो इसे लागू करने की दिशा में कदम तेज हो गए हैं। इसके सामाजिक और राजनीतिक असर को लेकर बहस अभी भी जारी है।

 

 

 

 

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