अडाणी और निशिकांत दूबे को लेकर Pradeep Yadav पहुंचे CM के पास, गोड्डा के रैयतों की मदद की मांग

रांची: गोड्डा जिले में चल रहे अडाणी पावर प्लांट से जुड़े विवादों के बीच कांग्रेस विधायक दल के नेता Pradeep Yadav ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की।

यह मुलाकात उस समय हुई जब गोड्डा में अडाणी के खिलाफ रैयतों द्वारा आंदोलन चलाया जा रहा है। चर्चा है कि इस भेंट में रोजगार, मुआवजा और विस्थापन जैसे मुद्दों पर गंभीर बातचीत हुई।

अडाणी पावर प्लांट पर फिर आमने-सामने Pradeep Yadav और निशिकांत दूबे

गोड्डा में अडाणी पावर प्लांट को लेकर प्रदीप यादव और भाजपा सांसद निशिकांत दूबे के बीच एक बार फिर टकराव देखने को मिल रहा है। हाल ही में निशिकांत दूबे ने बयान दिया था कि यदि विरोध का माहौल बना रहा तो अडाणी झारखंड छोड़ सकता है। इसके जवाब में प्रदीप यादव ने रैयतों के हक में आवाज उठाते हुए अडाणी से वायदे के मुताबिक नौकरी देने की मांग की और निशिकांत दूबे पर परोक्ष रूप से निशाना साधा।

हेमंत से की शिकायत, रैयतों के पक्ष में खड़े Pradeep Yadav

प्रदीप यादव ने अडाणी पावर प्लांट के विरोध में धरना दे रहे रैयतों से मुलाकात कर उनका समर्थन जताया। माना जा रहा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात में पावर प्लांट में व्यवस्थागत गड़बड़ियों की शिकायत की और प्रभावित ग्रामीणों की समस्याएं सामने रखीं।

अडाणी का समर्थन करते दिखे निशिकांत दूबे

निशिकांत दूबे ने अडाणी पावर प्रोजेक्ट का बचाव करते हुए कहा था कि,

“जिंदल के बाद अगर अडाणी भी गोड्डा से चला गया, तो हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। कोयला, पानी और बिजली सब बाहर से लाकर संयंत्र चलाया जा रहा है। जमीन अधिग्रहण के बदले लोगों को पैसा भी दिया गया।”

गौतम अडाणी की हेमंत से मुलाकात

दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में गौतम अडाणी ने खुद रांची पहुंचकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी। ऐसे में प्रदीप यादव की यह शिकायत मुलाकात राजनीतिक रूप से अहम मानी जा रही है और गोड्डा का राजनीतिक पारा चढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

कितनी भूमि अधिग्रहित की गई?

अडाणी ने बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति के उद्देश्य से गोड्डा में 1255 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी। यह जमीन मोतिया, पटवा, मंगता, नायाबाद, सोनडीह, पिटबी, गयाघाट, रंगनिया और माली जैसे गांवों के लोगों से ली गई थी। इस अधिग्रहण के बाद से रोजगार और मुआवजे को लेकर असंतोष बना हुआ है।

गोड्डा में जारी यह विवाद राज्य में उद्योग, राजनीति और जनता के बीच नाजुक संतुलन का प्रतीक बनता जा रहा है।

 

 

 

 

 

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