Prashant Kishor का इशारों में लालू यादव पर वार: “जनता का पैसा लूटा है तो ऊपर वाले का कोर्ट सजा देगा”

बिहार की राजनीति में बदलाव का दावा करने वाले Prashant Kishor ने एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। हालांकि उन्होंने किसी नेता का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके तीर सीधे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की ओर इशारा कर रहे थे। पूर्वी चंपारण में ‘बिहार बदलाव यात्रा’ के दौरान उन्होंने कहा:

“जिसने भी जनता का पैसा लूटा है, उसे सजा जरूर मिलेगी, चाहे निचली अदालत न दे, ऊपर वाले का कोर्ट तो देगा ही।”

Prashant Kishor News: लैंड फॉर जॉब केस की पृष्ठभूमि

प्रशांत किशोर का यह बयान ऐसे समय आया है जब लालू यादव को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उन्होंने सीबीआई की एफआईआर और चार्जशीट को रद्द करने की अपील की थी, जिसे जस्टिस रवींद्र डुडेजा की बेंच ने खारिज कर दिया। अदालत ने साफ कहा कि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर कोई रोक नहीं लगेगी। अब 2 जून से राउज एवेन्यू कोर्ट में आरोप तय करने की सुनवाई शुरू होगी।

Prashant Kishor  का स्पष्ट संकेत

प्रशांत किशोर ने अपने भाषण में कहा:

“जो भी जनता का पैसा लूटेगा, उसे आज नहीं तो कल सजा मिलेगी। अगर सरकारी अदालतें न दें तो ऊपर वाला देगा। बिहार के लोग बदलाव चाहते हैं, बच्चों के लिए रोजगार और शिक्षा चाहते हैं, भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहते हैं।”

उनका यह बयान साफ तौर पर लालू यादव के भ्रष्टाचार के पुराने मामलों और वर्तमान लैंड फॉर जॉब केस की ओर संकेत करता है, जिसमें लालू परिवार जांच एजेंसियों के घेरे में है।

भाजपा और RJD दोनों पर निशाना

प्रशांत किशोर ने केवल RJD नहीं, भाजपा पर भी हमला किया। उन्होंने कहा:

“20 साल से बिहार की जनता राजनीतिक बंधुआ मजदूरी कर रही है — कभी भाजपा के डर से लालू को, तो कभी लालू के डर से भाजपा को वोट देती है। अब लोग बच्चों की पढ़ाई और भविष्य के लिए वोट करना चाहते हैं।”

Prashant Kishor  News: राजनीतिक समीकरणों पर असर

प्रशांत किशोर का जन सुराज अभियान नीतीश-लालू-बिजेपी त्रिकोण की राजनीति को चुनौती देने का प्रयास कर रहा है। वे भ्रष्टाचार, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों को आधार बनाकर वैकल्पिक राजनीति का संदेश दे रहे हैं।

प्रशांत किशोर की यह टिप्पणी सिर्फ भावनात्मक अपील नहीं, बल्कि राजनीतिक मोर्चेबंदी का संकेत है। लालू यादव के लैंड फॉर जॉब केस में फंसे होने के बीच यह बयान राजद की छवि को चोट पहुंचाने की रणनीति का हिस्सा भी माना जा सकता है। आने वाले चुनावी मौसम में यह बयानबाज़ी और भी तीखी हो सकती है।

 

 

 

 

 

 

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