Delhi Blast: ‘शू बॉम्बर’ था आतंकी डॉ. उमर? कार से मिले जूते में सबसे खतरनाक विस्फोटक TATP के निशान!

नई दिल्ली: लालकिले के पास हुए धमाके (Delhi Blast) की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जांच एजेंसियों का शक अब इस दिशा में गहरा गया है कि मुख्य फिदायीन आरोपी डॉ. उमर प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का ‘शू बॉम्बर’ (Shoe Bomber) हो सकता है।

यह शक इसलिए भी पुख्ता हुआ है, क्योंकि धमाके वाली आई-20 कार से एक जूता बरामद हुआ है, जिसमें अमोनियम नाइट्रेट और बेहद खतरनाक विस्फोटक ट्राइएसीटोन ट्राइपेरॉक्साइड (TATP) के ट्रेस (अवशेष) मिलने का संदेह है।

Delhi Blast: जूते में विस्फोटक और ‘फिदायीन’ बनाने का प्लान

जांच एजेंसियों को डॉ. उमर मोहम्मद की आई-20 कार में ड्राइविंग सीट के नीचे, राइट फ्रंट टायर के पास से यह जूता मिला है। इस खोज ने जांच की दिशा बदल दी है।

यह भी पता चला है कि जैश समर्थित ‘डॉक्टरों का यह मॉड्यूल’ पिछले एक साल से फिदायीन हमलावर तैयार करने की फिराक में था। हाल ही में काजीकुंड से हिरासत में लिए गए जसीर उर्फ दानिश ने पूछताछ में कबूल किया है कि वह अक्तूबर 2023 में इन डॉक्टरों से मिला था। तभी से डॉ. उमर उसे फिदायीन बनाने के लिए उसका ब्रेनवॉश कर रहा था और अक्सर धमाके के लिए फिदायीन बनने-बनाने की बातें करता था।

Delhi Blast: जेल से जुड़ा साजिश का तार, तुर्की से मिला निर्देश

इस साजिश में अहमद नामक एक नए शख्स की भी एंट्री हुई है, जो फिलहाल मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में जेल में है।जांचकर्ताओं को संदेह है कि वह जेल में रहते हुए भी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था।

पूछताछ में डॉ. शाहीन सईद ने खुलासा किया कि उसने कई समूह बनाए थे, जिनमें से एक की अगुवाई नादिया की जेल में बंद साबिर अहमद (संभवतः अहमद) कर रहा था।

अब तक की जांच में यह भी सामने आया है कि फिदायीन डॉ. उमर तुर्की में बैठे जैश-ए-मोहम्मद के ‘उकासा’ नाम के हैंडलर के निर्देश पर काम कर रहा था। ‘उकासा’ भारत में अपने मॉड्यूल से संपर्क करने के लिए ‘सेशन’ (Session) ऐप का इस्तेमाल करता था। वहीं, भारत में सक्रिय डॉक्टरों का यह मॉड्यूल आपस में बातचीत करने के लिए ‘थ्रीमा’ (Threema) नामक एक एन्क्रिप्टेड स्विस मैसेजिंग ऐप का उपयोग करता था।

क्या है TATP? (विस्फोटक से जुड़ी 5 अहम बातें)

TATP को “मदर ऑफ सैटन” (शैतान की माँ) भी कहा जाता है और यह एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती है।

  1. अत्यधिक खतरनाक: यह एक बेहद खतरनाक और अस्थिर (Unstable) विस्फोटक है, जिसका आतंकी हमलों में व्यापक रूप से इस्तेमाल होता रहा है।

  2. अस्थिर प्रकृति: हल्के झटके, गर्मी या घर्षण से भी इसमें तुरंत विस्फोट हो सकता है।

  3. आसान उपलब्धता: इसे औद्योगिक रसायनों और घरेलू सामान (जैसे हाइड्रोजन पेरॉक्साइड, एसीटोन) से आसानी से तैयार किया जा सकता है, इसलिए यह आतंकी समूहों की पसंद है।

  4. जांच में मुश्किल: TATP तेजी से विघटित (Decompose) हो जाता है और विस्फोट के बाद बहुत कम अवशेष छोड़ता है, जिससे फॉरेंसिक जांच बेहद जटिल हो जाती है।

  5. बड़ी चुनौती: इसकी विनाशकारी क्षमता और पकड़ में न आने की खासियत इसे सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर खतरा बनाती है।

 

 

 

 

 

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