Mukesh Sahani : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में घमासान तेज होता जा रहा है। इसी कड़ी में शनिवार को इंडिया गठबंधन के घटक दल वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) के प्रदेश महासचिव लालू दांगी ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होकर मुकेश सहनी और वीआईपी पार्टी को बड़ा झटका दिया है।
Mukesh Sahani News: कांग्रेस में शामिल हुए वीआईपी के राज्य महासचिव
लालू दांगी और उनके समर्थक बिहार प्रदेश कांग्रेस के मुख्यालय सदाकत आश्रम में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण किए। प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने इस अवसर पर कहा कि लालू दांगी के कांग्रेस में आने से गया क्षेत्र में पार्टी को मजबूती मिलेगी। उन्होंने महात्मा गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस की सामाजिक न्याय, समावेशन और जनसेवा की विचारधारा को अपनाने को इस निर्णय का आधार बताया।
Mukesh Sahani News: कांग्रेस नेता राजेश राम का बयान
राजेश राम ने कहा, “लालू दांगी गया के जाने-माने समाजसेवी हैं और वे कांग्रेस पार्टी को वहां और मजबूत करेंगे। राज्य व देश के सामाजिक न्याय और विकास में कांग्रेस एकमात्र विकल्प है। हम सब उनके साथ समाज के हर वर्ग को जोड़ने के लिए काम करेंगे।”
Mukesh Sahani News: लालू दांगी का मनोबल और लक्ष्य
लालू दांगी ने सदस्यता ग्रहण के उपरांत कहा, “बिहार के उज्ज्वल भविष्य और सभी वर्गों-समुदाय को साथ लेकर चलने का काम कांग्रेस बेहतर तरीके से कर सकती है। मैं गया में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पूरी मेहनत करूंगा।” उन्होंने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम के संघर्ष में पूरी तरीके से सहयोग का आश्वासन दिया।
वीआईपी पार्टी को बड़ा झटका
बिहार में महागठबंधन या इंडिया गठबंधन के छह घटक दलों में से एक वीआईपी पार्टी के प्रदेश महासचिव समेत इतने बड़े कच्चे कर्मचारियों के कांग्रेस में शामिल होने से वीआईपी को बड़ा झटका माना जा रहा है। यह इस बात का संकेत भी है कि चुनाव से पहले गठबंधन की मजबूती और एकजुटता को लेकर अब कई दलों में उम्मीद के साथ-साथ असंतोष और बदलाव की स्थिति भी है।
लालू दांगी और उनके समर्थकों का कांग्रेस में शामिल होना बिहार की सियासत में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक बदलाव साबित होगा। कांग्रेस को इससे गया क्षेत्र में मजबूती मिलने की संभावना है, जबकि मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है। आगामी चुनावों में इस घटनाक्रम के प्रभाव को लेकर सभी दलों में रणनीति और प्रतिक्रिया का दौर शुरू हो चुका है।
