हूल आंदोलन के महानायकों को CM Hemant Soren ने दी श्रद्धांजलि

सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो की शहादत को याद कर मुख्यमंत्री ने कहा - "हूल हमारी ताकत, हमारी पहचान है"

झारखंड के CM Hemant Soren ने 1855 के ऐतिहासिक संथाल हूल विद्रोह के महानायकों सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो को श्रद्धांजलि अर्पित की।

वीर सपूतों के संघर्ष और बलिदान की प्रेरणा से झारखंड की आत्मा जुड़ी है: Hemant Soren

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन वीर सपूतों के संघर्ष और बलिदान की प्रेरणा से झारखंड की आत्मा जुड़ी है। उन्होंने श्रद्धा से माल्यार्पण कर वीर शहीदों को नमन किया और कहा, “हूल सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारी ताकत और पहचान का प्रतीक है।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि संथाल विद्रोह के प्रेरणास्त्रोत आदरणीय बाबा दिशोम गुरुजी अस्वस्थ होने के कारण इस बार भोगनाडीह की क्रांतिकारी भूमि पर उपस्थित नहीं हो सके, लेकिन उनके विचार और संघर्ष हमेशा मार्गदर्शन करते रहेंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वे स्वयं भी अस्वस्थ गुरुजी से मिलने नहीं आ सके, परन्तु हूल दिवस का महत्व केवल एक दिन का नहीं, बल्कि यह आने वाले संघर्षों का संकल्प है।

आदिवासी धर्म कोड, आदिवासी भाषा, संस्कृति, सभ्यता और पहचान की रक्षा: Hemant Soren

सोरेन ने कहा कि आने वाले समय में आदिवासी धर्म कोड, आदिवासी भाषा, संस्कृति, सभ्यता और पहचान की रक्षा के लिए हूल एक उलगुलान (क्रांति) का रूप लेगा। उन्होंने सामाजिक न्याय और सांस्कृतिक अस्मिता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए राज्यवासियों का आह्वान किया।

इस अवसर पर कई प्रमुख जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे, जिनमें गांडेय विधायक कल्पना सोरेन, रामगढ़ की ममता देवी, टुंडी के मथुरा प्रसाद महतो, सारठ के उदय प्रताप सिंह (चुन्ना सिंह), खिजरी के राजेश कच्छप और पूर्व विधायक के एन त्रिपाठी प्रमुख रहे। यह आयोजन झारखंड के जनआंदोलन की जीवंत प्रेरणा बना।

 

 

 

 

 

 

 

 

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