SC के निर्णय से नाखुश हैं चिराग, तेजस्वी और पप्पू यादव, अनुसूचित जाति में नहीं चाहते ये बदलाव

Patna: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (SC) ने एससी कैटेगरी में सब-कैटेगरी को मंजूरी देने का फैसला किया है जिससे बिहार की सियासत गरमा गई है.

इस फैसले के खिलाफ कई नेता खुलकर सामने आए हैं जिसमें तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और पप्पू यादव जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं.

अध्यादेश लाने की मांग की पप्पू यादव ने

पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने इस फैसले पर असहमति जताई और इसे समीक्षा की आवश्यकता बताया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर सदन में व्यापक चर्चा की जानी चाहिए और सरकार को इस पर अध्यादेश लाना चाहिए. उनके अनुसार, एससी और एसटी वर्ग के लोगों की स्थिति आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अब भी कमजोर है और क्रीमी लेयर का प्रावधान इस समस्या को और बढ़ा सकता है.

उन्होंने कहा कि जब OBC को पहले ही बर्बाद कर दिया गया है तब एससी-एसटी की स्थिति को और खराब करना गलत होगा.

चिराग पासवान ने जताया विरोध

लोजपा के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस फैसले पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस फैसले के खिलाफ है और इसके पुनर्विचार की मांग करेगी. चिराग ने कहा कि जब तक समाज में अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ भेदभाव और छुआछूत की प्रथाएं खत्म नहीं होतीं तब तक इस तरह के उप-वर्गीकरण और क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं होना चाहिए.

तेजस्वी यादव ने कही यह बात

राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस फैसले को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि आरक्षण का मकसद सामाजिक और आर्थिक भेदभाव को खत्म करना है लेकिन क्रीमी लेयर का प्रावधान इस मकसद को कमजोर कर देगा. तेजस्वी ने कहा कि अगर वास्तव में दलित और आदिवासियों की स्थिति में सुधार लाना है तो आर्थिक स्थिति को मजबूत करना जरूरी है न कि इस तरह के भेदभावपूर्ण फैसले लेना.

समस्तीपुर सांसद ने जतायी नाराजगी

समस्तीपुर की सांसद शांभवी चौधरी ने भी इस फैसले पर असहमति जताई और सोशल मीडिया पर लिखा कि आरक्षण का आधार छुआछूत और जाति आधारित भेदभाव था जो सभी जातियों के लिए समान रूप से लागू होता है. उप-वर्गीकरण का प्रावधान इस आधार और उद्देश्य को बदल देगा.

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सभी नेताओं ने केंद्र सरकार से इस फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाने की मांग की है ताकि इस विवादास्पद फैसले को वापस लिया जा सके और समाज में समानता और न्याय की भावना को बनाए रखा जा सके.

 

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