कीचड़ भरे तालाब में Rahul Gandhi उतरे, किसानों संग निकाला मखाना, कटिहार में जानी उनकी मुश्किलें और सुनी समस्याएं

महागठबंधन की वोट अधिकार यात्रा के तहत शनिवार को कांग्रेस नेता Rahul Gandhi बिहार के कटिहार पहुंचे। यहां पहुंचकर उन्होंने किसानों से मुलाकात की और सीधे उनकी जिंदगी से जुड़ी कठिनाइयों को समझने की कोशिश की।

इस दौरान राहुल गांधी ने केवल बातचीत ही नहीं की, बल्कि खुद कीचड़ भरे तालाब में उतरकर मखाना निकालने की प्रक्रिया का अनुभव भी लिया। उनका यह रूप देखकर स्थानीय ग्रामीण हैरान रह गए और उन्होंने इसे किसानों के साथ सच्चा जुड़ाव बताया।

किसानों की मेहनत देखने के लिए खुद तालाब में उतरे Rahul Gandhi

जब राहुल गांधी गांव पहुंचे तो वहां के किसान पहले से ही इंतजार कर रहे थे। उन्होंने राहुल को बताया कि मखाना की खेती कितनी कठिन है, जिसमें कीचड़ भरे तालाब में लंबे समय तक खड़े रहकर काम करना पड़ता है। किसानों की बातें सुनकर राहुल गांधी ने तुरंत तालाब में उतरने का फैसला किया। कीचड़ और पानी से भरे तालाब में उतरकर उन्होंने अपने हाथों से मखाना निकाला और किसानों की मेहनत को करीब से महसूस किया।

Rahul Gandhi ने मखाना की खेती से लेकर बाजार तक की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझा

तालाब से मखाना निकालने के बाद किसानों ने राहुल गांधी को इसके आगे की पूरी प्रक्रिया समझाई। कैसे इसे सुखाया जाता है, तोड़ा जाता है और फिर बाजार तक पहुंचाया जाता है। किसानों ने बताया कि यह काम बेहद मेहनत और समय लेने वाला है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें बाजार में उचित दाम नहीं मिल पाता।

Rahul Gandhi ने एमएसपी और बिचौलियों की समस्या पर किसानों ने रखी अपनी बात

कटिहार में मौजूद किसानों ने राहुल गांधी को अपनी मुख्य परेशानियों के बारे में बताया।

* किसानों ने मांग की कि धान-गेहूं की तरह मखाना को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदा जाए।
* बिचौलियों की वजह से किसानों को सीधा लाभ नहीं मिल पाता, जिससे उनकी आमदनी घट जाती है।
* कई सरकारी योजनाओं का लाभ सही समय पर उन तक नहीं पहुंच पाता, क्योंकि जानकारी और सुविधा की कमी रहती है।

राहुल गांधी ने इस पर आश्वासन दिया कि किसानों की आवाज संसद तक जाएगी और मखाना उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

गांव की जनता से सीधे जुड़ने का यह नया रूप लोगों को भाया

राहुल गांधी का यह अंदाज़ आम तौर पर देखने को नहीं मिलता। किसानों और ग्रामीणों के बीच जाकर तालाब में उतरना और उनके काम को करीब से समझना, ग्रामीणों के लिए अनोखा अनुभव था। गांव के लोग उनके साथ तस्वीरें खिंचवाने उमड़ पड़े और कहा कि यह पहली बार है जब किसी बड़े नेता ने उनकी मेहनत और तकलीफ को इतनी नजदीक से महसूस किया है। कटिहार में राहुल गांधी का यह दौरा केवल राजनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि किसानों की असली स्थिति को समझने का गंभीर प्रयास भी था।

मखाना किसानों की मेहनत और संघर्ष ने उन्हें सोचने पर मजबूर किया कि ग्रामीण भारत की असली ताकत खेतों और तालाबों में छिपी है। अब देखने वाली बात होगी कि यह समझ आगे चलकर नीतियों और फैसलों में किस तरह झलकती है।

 

 

 

 

 

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