Pakur: झारखंड के Pakur ज़िले में रामनवमी के जुलूस की अनुमति नहीं दिए जाने को लेकर प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया है।
आज कांके, पिठौरिया के बालू गांव पहुंचकर सरहुल जुलूस के दौरान हुई हिंसक घटना को लेकर ग्रामीणों से विस्तृत जानकारी ली।
यह बेहद शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रशासन मामले की लीपापोती कर सच्चाई को दबाने का प्रयास कर रही है।@HemantSorenJMM जी कान खोलकर सुन लें कि तुष्टिकरण की… pic.twitter.com/TTizyf1UOn
— Babulal Marandi (@yourBabulal) April 7, 2025
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस फैसले पर तीखा विरोध जताते हुए इसे हिंदू भावनाओं पर आघात बताया।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि छह अप्रैल को ग्रामीण क्षेत्रों के कई गांवों की भागीदारी से रामनवमी शोभायात्रा निकालने की योजना थी, लेकिन प्रशासन ने आधी रात को आदेश जारी कर इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। उन्होंने सवाल किया कि जब मुहर्रम पर ताजिए निकाले जा सकते हैं तो रामनवमी पर जुलूस निकालने की मनाही क्यों की जा रही है?
Pakur News: हिंदू त्योहारों पर लग रही पाबंदियां, आगे और बढ़ेगा हस्तक्षेप
मरांडी ने चेतावनी दी कि सरकार अगर अब रामनवमी जैसे पर्वों पर रोक लगा रही है, तो आगे चलकर दुर्गा पूजा और दीपावली पर भी इसी तरह के फरमान जारी किए जा सकते हैं। उन्होंने इस कदम को राज्य सरकार की नियत पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है।
Pakur News: चम्पाई सोरेन का भी विरोध, सरकार पर लगाया पक्षपात का आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने भी प्रशासनिक फैसले की आलोचना करते हुए इसे सरकार की हिंदू विरोधी सोच का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि पाकुड़ में आदिवासी और हिंदू समाज की जनसंख्या घटकर अल्पसंख्यक रह गई है, जबकि एक विशेष समुदाय की जनसंख्या अब दो-तिहाई के करीब है।
चम्पाई ने तंज कसते हुए पूछा कि क्या राज्य सरकार यह संदेश देना चाहती है कि जहां भी हिंदू या आदिवासी अल्पसंख्यक होंगे, वहां उन्हें अपने धार्मिक पर्व मनाने की भी इजाजत नहीं मिलेगी? उन्होंने पूछा कि क्या सरकार किसी अन्य धर्म के पर्वों पर भी इसी तरह के आदेश जारी करने का साहस कर सकती है?
Pakur News: राजनीतिक माहौल गरम, प्रशासन की मंशा पर सवाल
रामनवमी जुलूस पर पाबंदी के इस मामले ने राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया पैदा कर दी है। भाजपा और विपक्ष सरकार पर पक्षपात और धार्मिक स्वतंत्रता के हनन का आरोप लगा रहे हैं, वहीं प्रशासन की ओर से अब तक इस पर कोई विस्तृत बयान सामने नहीं आया है।



