पटना: Vijay Kumar Sinha: बिहार में चल रहे जमीन सर्वेक्षण और भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण अभियान के बीच एक बड़ा खुलासा हुआ है। राज्य के कई जिलों में खतियानों के महत्वपूर्ण पन्ने गायब पाए गए हैं।
इस स्थिति को गंभीर मानते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं राजस्व मंत्री Vijay Kumar Sinha मंगलवार को एक नई पहल का ऐलान किया। उन्होंने बताया कि गायब खतियानों, पुराने भूमि अभिलेखों और मूल दस्तावेजों को खोजकर सरकार को उपलब्ध कराने वाले नागरिकों को ‘बिहार राजस्व योद्धा’ सम्मान दिया जाएगा।

गायब दस्तावेज़ों से सर्वे कार्य प्रभावित, सरकार ने मांगी जनसहभागिता
राज्य में भूमि सर्वेक्षण का काम अंतिम चरणों में है। इस दौरान कई जगहों से रिपोर्ट मिली कि पुराने रिकॉर्ड, विशेष रूप से खतियान और जमाबंदी रजिस्टर के बीच के कुछ पन्ने गायब हैं।
Vijay Kumar Sinha ने कहा कि “जमीन सर्वेक्षण की विश्वसनीयता तभी सुनिश्चित होगी जब हर पृष्ठ और हर अभिलेख उपलब्ध होगा। गायब दस्तावेज़ों के कारण कई क्षेत्रों में विवाद बढ़ने का खतरा है और सही स्वामित्व निर्धारण की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।”
इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने जनता से सहयोग लेने का फैसला किया है। जो भी व्यक्ति या परिवार पुराने खतियान या भूमि से जुड़े प्रमाणिक दस्तावेज़ प्रस्तुत करेगा, उन्हें राज्यस्तरीय सम्मान से नवाज़ा जाएगा।
‘बिहार राजस्व योद्धा’ सम्मान, नागरिकों को जोड़ने की अनोखी पहल
सरकार का यह कदम न केवल खोए हुए दस्तावेज़ों को जुटाने का प्रयास है, बल्कि नागरिकों में भूमि अभिलेखों के संरक्षण और महत्व के प्रति जागरूकता पैदा करना भी है। इस सम्मान के तहत
- दस्तावेज़ उपलब्ध कराने वाले नागरिकों को राज्य सरकार की ओर से प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।
- ब्लॉक और जिला स्तर पर उनका नाम सम्मान सूची में दर्ज किया जाएगा।
- भविष्य में भूमि संबंधित कार्यों में उन्हें प्राथमिकता और त्वरित समाधान सुविधा देने की व्यवस्था भी की जा सकती है।
सिन्हा ने बताया कि यह पहल इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि कई परिवारों के पास अभी भी पुराने खतियान, सनद, नक्शा या निजी रिकॉर्ड संरक्षित हैं। ये राज्य अभिलेखागार में मौजूद अधूरे रिकॉर्ड को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
भूमि सुधार और डिजिटल रिकॉर्ड मिशन में नई ऊर्जा
बिहार सरकार पिछले कुछ वर्षों से भूमि सुधार और डिजिटल अभिलेख तैयार करने के मिशन पर काम कर रही है।
- हर भूमि धारक को स्पष्ट स्वामित्व प्रमाण मिले
- विवाद कम हों
- भूमि लेनदेन आसान हो
- और सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता बढ़े
इन्हीं लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए यह नई पहल बनाई गई है।राजस्व विभाग के अधिकारियों के अनुसार, कई पुराने दस्तावेज़ स्वतंत्रता से पहले के भी हो सकते हैं, जिन्हें परिवार अब भी अपने घरों या निजी संग्रह में सुरक्षित रखे हुए हैं। इन दस्तावेज़ों के आधार पर नक्शे और खतियान का पुनर्निर्माण आसान हो जाएगा।
नागरिकों से की अपील, पुरानी अलमारियों और बक्सों में खोजें क़ीमती अभिलेख
उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने नागरिकों से अपील की: “अगर आपके पास पुराने खतियान, रसीद, नक्शा या किसी भी प्रकार के भूमि रिकॉर्ड सुरक्षित हैं, तो उन्हें राजस्व कार्यालय में जमा कराएं। ये दस्तावेज़ न केवल आपके गांव के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए बहुमूल्य है। गायब खतियानों की खोज में बिहार सरकार द्वारा जनता को शामिल करने की यह अनोखी पहल भूमि सुधार प्रक्रिया में नई दिशा ला सकती है। ‘बिहार राजस्व योद्धा’ सम्मान न सिर्फ एक पुरस्कार है बल्कि इतिहास और अधिकारों को सुरक्षित रखने का सामूहिक प्रयास है।



