Ranchi: CM Hemant Soren: जातिगत जनगणना को लेकर 2021 से ही प्रयास किया जा रहा है। राज्यपाल महोदय को विधानसभा से पारित कर आरक्षण से सम्बन्धित विधेयक भेज रखा है।
जो लोग जिस समूह में जितने, उतना अधिकार उन्हें मिले।
जाति आधारित जनगणना को लेकर वर्ष 2021 से रखी है हमने अपनी माँग। pic.twitter.com/CYueGr5wzi
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) October 5, 2023
सरकार का स्पष्ट मानना है कि जो जिस समूह में जितनी संख्या में हैं, उतना अधिकार उनको मिले। ये बातें मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कही। मुख्यमंत्री गुरुवार को प्रोजेक्ट भवन में संवादाताओं के सवाल का जवाब दे रहे थे।
दो वर्ष पूर्व लिखा था पत्र: CM
CM हेमन्त सोरेन ने सभी दलों की सहमति से आज से दो वर्ष पूर्व जाति आधारित जनगणना हेतु माननीय प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन मांग कर चुके हैं। दिल्ली में झारखण्ड के सर्वदलीय शिष्टमंडल के सदस्यों ने जाति आधारित जनगणना कराने की मांग पत्र गृह मंत्री को सितम्बर 2021 में सौंपा था।
वंचितों की बेहतरी एवं उत्थान संबंधित समुचित नीति निर्धारण जरूरी: CM
CM ने पत्र के माध्यम से कहा था कि संविधान में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के विकास के लिए विशेष सुविधा एवं आरक्षण की व्यवस्था की है।
ऐसे में यदि अब जातिगत जनगणना नहीं करायी जायेगी तो पिछड़ी / अति पिछड़ी जातियों की शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक स्थिति का ना तो सही आकलन हो सकेगा, ना ही उनकी बेहतरी व उत्थान संबंधित समुचित नीति निर्धारण हो पाएगा और ना ही उनकी संख्या के अनुपात में बजट का आवंटन हो पाएगा। मालूम हो कि आज से 90 वर्ष पूर्व जातिगत जनगणना वर्ष 1931 में की गई थी एवं उसी के आधार पर मंडल कमिशन के द्वारा पिछड़े वर्गों को आरक्षण उपलब्ध कराने की अनुशंसा की गई थी।
भारत में आर्थिक विषमता का जाति से बहुत मजबूत संबंध है: CM
पत्र में लिखा था कि भारत में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लोगों ने सदियों से आर्थिक एवं सामाजिक पिछड़ेपन का दंश झेला है। आजादी के बाद विभिन्न वर्गों का विकास अलग-अलग गति से हुआ है। जिसके कारण अमीरों एवं गरीबों के बीच की खाई और बढ़ी है। भारत में आर्थिक विषमता का जाति से बहुत मजबूत संबंध है एवं सामान्यतया जो सामाजिक रूप से पिछड़े श्रेणी में आते है, वे आर्थिक तौर पर भी पिछड़े हुए हैं।
सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के नारों को अमलीजामा पहनाने की जमीनी पहल करना समय की मांग है। विकास का खाका तैयार करने की पहली शर्त होती है जमीनी हकीकत की जानकारी। इसके लिए जातिगत जनगणना सबसे कारगर माध्यम साबित होगा। जातिगत जनगणना कराने से ही समाज के सभी वर्गों को हिस्सेदारी के अनुपात में भागीदारी देना सुनिश्चित किया जा सकता है।
इस मांग को समय की जरूरत समझी गई है इसलिए दल की दीवारें तोड़कर सब एक साथ केन्द्र से ये मांग कर रहे हैं कि जनगणना में सभी जातियों के राजनीति, आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्तर की जानकारियों को समावेश कर सार्वजनिक किया जाय। पिछड़ों और अति पिछड़ों को उनके जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी और भागीदारी नहीं मिल पा रही है। वजह है इनका सटीक जातीय आंकड़ा उपलब्ध न होना। ऐसी परिस्थिति में इन विषमताओं को दूर करने के लिए जातिगत आँकड़ों की नितांत आवश्यकता है।
पत्र के माध्यम से बताए फायदे: CM
CM ने पत्र के माध्यम से जाति आधारित जनगणना कराये जाने से देश के नीति-निर्धारण में कई तरह के फायदों को बताया। पत्र में लिखा था कि पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराने में ये आकड़े सहायक सिद्ध होगें। नीति निर्माताओं को पिछड़े वर्ग के लोगों के उत्थान के निमित्त बेहतर नीति-निर्धारण एवं क्रियान्वयन में आकड़े मदद करेंगे। ये आँकड़े आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक विषमताओं को भी उजागर करेंगे एवं तत्पश्चात् लोकतांत्रिक तरीके से इनका समाधान निकाला जा सकेगा।
संविधान की धारा-340 में भी आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों की वस्तुस्थिति की जानकारी प्राप्त करने के निमित्त आयोग बनाने का प्रावधान है। जातिगत जनगणना से संविधान के इस प्रावधान का भी अनुपालन सुनिश्चित हो सकेगा। लक्ष्य आधारित योजनाओं में सुयोग्य लाभुकों को शामिल करने तथा नहीं करने में होने वाली त्रुटियों को कम करने में भी यह सहायक सिद्ध होगी।