
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से जुड़े एक अहम मामले में चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह किसी भी स्थिति में डेटा डिलीट न करे।
The Supreme Court on Tuesday (February 11) sought the reply of the Election Commission to an application filed by the Association for Democratic Reforms (ADR) seeking directions to the ECI to allow verification of the burnt memory and Symbol Loading Units of the Electronic Voting… pic.twitter.com/GxIQfDJP8h
— Live Law (@LiveLawIndia) February 11, 2025
यह मामला हाल ही में सामने आए उन दावों से जुड़ा है, जिनमें EVM और वीवीपैट (VVPAT) मशीनों के डेटा की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए गए थे।
SC News: क्या है पूरा मामला?
चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है। हाल ही में कुछ याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह आशंका जताई थी कि चुनाव आयोग द्वारा इस्तेमाल की गई ईवीएम और वीवीपैट मशीनों का डेटा डिलीट किया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि जब तक इस मामले की पूरी जांच न हो जाए, तब तक इन मशीनों का डेटा सुरक्षित रखा जाए।
SC का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग को यह स्पष्ट निर्देश दिया है कि किसी भी परिस्थिति में डेटा डिलीट न किया जाए। अदालत ने कहा कि यह मामला लोकतंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया से जुड़ा है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने SC में अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि भारत में चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और सुरक्षित है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि वीवीपैट मशीनों में डेटा एक निश्चित अवधि तक सुरक्षित रखा जाता है, और किसी भी तरह की गड़बड़ी की संभावना नहीं होती।
इस फैसले का क्या असर पड़ेगा?
– सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से ईवीएम डेटा की सुरक्षा को लेकर जनता में विश्वास बढ़ेगा।
– चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को अतिरिक्त कदम उठाने पड़ सकते हैं।
– राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों द्वारा ईवीएम पर उठाए जा रहे सवालों के समाधान के लिए नई रणनीतियाँ बन सकती हैं।
आगे क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आगे की सुनवाई में क्या नए तथ्य सामने आते हैं और इस पूरे मुद्दे का समाधान किस तरह निकाला जाता है।
लोकतंत्र की नींव पारदर्शिता और निष्पक्षता पर टिकी होती है, और सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है।