JMM का 13वाँ केंद्रीय महाधिवेशन, ‘संविधान बचाओ, अधिकारों की रक्षा करो’ का नारा बुलंद

रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का 13वां केंद्रीय महाधिवेशन ऐसे समय में आयोजित हुआ जब देश की राजनीति में असहिष्णुता, केंद्रीय सत्ता का एकाधिकार और संवैधानिक संस्थाओं के क्षरण को लेकर बहस तेज़ है।

पार्टी ने इस अधिवेशन में न केवल केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखे हमले किए, बल्कि आदिवासियों, मूलवासियों और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों को लेकर अपने भविष्य की रणनीति भी स्पष्ट कर दी।

JMM NEWS: संविधान पर हमला, लोकतंत्र खतरे में

महाधिवेशन में पार्टी ने जोर देकर कहा कि देश में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देकर सामाजिक ताने-बाने को तोड़ रही है और यह भारतीय संविधान के मूल मूल्यों – समानता, बंधुत्व और धर्मनिरपेक्षता – पर सीधा हमला है। झामुमो ने हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को “लोकतंत्र की हत्या” बताया और इसे केंद्र सरकार की “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” करार दिया।

JMM NEWS: हेमंत सोरेन को समर्थन, गिरफ्तारी की निंदा

महाधिवेशन में पार्टी कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ एकजुटता दिखाई। पार्टी ने आरोप लगाया कि सोरेन को झूठे आरोपों में फंसाकर सत्ता से हटाया गया, क्योंकि वह राज्य की पहली बहुमत वाली आदिवासी-मूलवासी सरकार चला रहे थे।

JMM NEWS: राज्य विस्तार और क्षेत्रीय मजबूती की रणनीति

महाधिवेशन में झामुमो ने अन्य राज्यों में संगठन विस्तार की रणनीति पर भी जोर दिया।

JMM NEWS: ‘जल-जंगल-जमीन’ के लिए मजबूत नीति की मांग

महाधिवेशन में ‘जल, जंगल, जमीन’ की रक्षा को पार्टी का मूल मुद्दा बताया गया। झामुमो ने 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति को लागू करने और “भूमि वापसी आयोग” (Land Restoration Commission) के गठन की मांग दोहराई।

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पलायन, विस्थापन और रोजगार पर फोकस

राज्य में दशकों से चली आ रही पलायन और विस्थापन की समस्या को हल करने के लिए विशेष आयोग और पुनर्वास नीति की मांग की गई। साथ ही जिलास्तरीय भर्तियों में स्थानीय युवाओं को 100% प्राथमिकता देने की बात भी महाधिवेशन में रखी गई।

JMM News: शिक्षा, भाषा और संस्कृति की रक्षा पर जोर

झामुमो ने प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक क्षेत्रीय और आदिवासी भाषाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने की वकालत की। पार्टी ने झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए ललित कला अकादमी, संगीत एवं नृत्य अकादमी की स्थापना की भी मांग की।

आरक्षण और सामाजिक न्याय की वकालत

महाधिवेशन में राज्य में लागू आरक्षण व्यवस्था – ST को 28%, SC को 14% और OBC को 27% – को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल कर कानूनी सुरक्षा देने की मांग की गई। साथ ही जातिगत जनगणना की वकालत करते हुए शैक्षणिक प्रकाशन में जातीय आंकड़ों को शामिल करने पर बल दिया गया।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के 13वें केंद्रीय महाधिवेशन ने पार्टी की राजनीतिक दिशा को स्पष्ट कर दिया है – एक ओर आदिवासी अधिकारों और सामाजिक न्याय की लड़ाई, दूसरी ओर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ तीखा विरोध। झामुमो अब झारखंड के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी अपने संगठन का विस्तार कर, एक राष्ट्रीय भूमिका निभाने की तैयारी में है।

 

 

 

 

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