नई दिल्ली, 2025: भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में Jharkhand पवेलियन इस वर्ष विशेष रूप से सुर्खियों में है। इसकी सबसे बड़ी वजह है।
तसर उत्पादन में देश का नेतृत्व कर रहा है झारखंड ।
तसर से तरक्की तक: झारखंड पवेलियन में दिखाई दी राज्य के राष्ट्रीय नेतृत्व की शक्ति।झारखंड पवेलियन टसर सिल्क के माध्यम से ग्रामीण झारखंड की प्रगति को खूबसूरती से प्रदर्शित कर रहा है और लोग इसे बहुत सराह रहे हैं।#IITF2025… pic.twitter.com/qtJgxJGArD— Office of Resident Commissioner, Jharkhand Bhawan (@RCJharkhand) November 20, 2025
तसर सिल्क के क्षेत्र में झारखंड की अद्वितीय पहचान, जहां देश के कुल तसर उत्पादन का 70 प्रतिशत योगदान अकेले झारखंड देता है। यह उपलब्धि न केवल राज्य की प्राकृतिक संपदा और कौशल का प्रमाण है, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व में उभरती एक मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था की कहानी भी है।
देश की तसर राजधानी के रूप में Jharkhand ने ख़ुद को किया स्थापित
झारखंड का तसर उद्योग आज एक स्पष्ट विज़न के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है—स्थानीय आजीविका को सुदृढ़ करना, कच्चे रेशम के उत्पादन को बढ़ाना, तसर से जुड़े संपूर्ण इकोसिस्टम का निर्माण करना और राज्य को भारत के हस्तशिल्प मानचित्र पर विशिष्ट स्थान दिलाना। इसी मिशन के तहत, झारखंड में आज 100 कोकून संरक्षण केंद्र और 40 पूर्ण-सुविधायुक्त परियोजना केंद्र संचालित हो रहे हैं।
2001 में 90 मीट्रिक टन कच्चे रेशम का उत्पादन बढ़कर 2024–25 में 1,363 मीट्रिक टन तक पहुँच गया है, जिसने झारखंड को देश की तसर राजधानी के रूप में स्थापित कर दिया है।इस अभूतपूर्व सफलता के केंद्र में हैं झारखंड की महिलाएँ। तसर उत्पादन के 50–60 प्रतिशत कार्यों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी है ।
कोकून प्रसंस्करण से लेकर तसर धागा उत्पादन और तैयार उत्पादों के निर्माण तक। उल्लेखनीय है कि यार्न उत्पादन पूरी तरह से महिला कर्मियों द्वारा किया जाता है, जिसने उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ राज्य की तसर अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ भी बनाया है।
महिलाओं की इस बढ़ती भूमिका को और मजबूती देने के लिए उद्योग विभाग और रेशम निदेशालय द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। झारक्राफ्ट, झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) और अन्य संस्थाओं के सहयोग से महिलाओं को प्रशिक्षण, रोज़गार और बाज़ार तक पहुंच उपलब्ध कराई जा रही है।
इसके अतिरिक्त, राज्य भर में स्थापित कॉमन फ़ैसिलिटी सेंटर (CFC) में 30–60 महिलाएँ एक साथ उत्पादन, कौशल विकास और प्रशिक्षण गतिविधियों से जुड़कर स्वरोजगार और उद्यमिता की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। युवा रियरर्स और किसानों के लिए सेरीकल्चर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी नए अवसर पैदा कर रहे हैं।
पैविलियन का मुख्य आकर्षण कोकून से रेशम धागा निकालने की पारंपरिक प्रक्रिया का लाइव डेमो
पैविलियन का मुख्य आकर्षण वह लाइव डेमो है, जहां तसर कोकून से रेशम धागा निकालने की पारंपरिक प्रक्रिया प्रत्यक्ष रूप से दिखाई जाती है। प्रशिक्षित महिला कारीगर कोकून उबालने से लेकर धागा तैयार करने तक हर चरण को विस्तार से समझाती हैं। वहीं, “तम्सुम” उसी धागे से करघे पर कपड़ा बुनने की कला प्रस्तुत करती हैं।
यह अनोखा प्रदर्शन न केवल तसर उद्योग की समृद्ध विरासत को सामने लाता है, बल्कि महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर करता है, जो ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्थायी आजीविका का मजबूत आधार बन चुकी हैं।
इसके साथ ही, झारखंड पवेलियन में झारक्राफ्ट राज्य की ग्रामीण कला, कारीगरी और तसर आधारित हस्तशिल्प को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में अपनी अहम भूमिका को प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत कर रहा है। IITF 2025 में प्रदर्शित इसके उत्कृष्ट उत्पाद झारखंड की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को सामने लाने के साथ-साथ कारीगरों के आर्थिक सशक्तिकरण की मजबूत कहानी भी बयां करते हैं।
IITF 2025 में झारखंड पवेलियन तसर उत्पादन से जुड़े इस गौरवशाली सफर को एक ही छत के नीचे जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है, जहाँ तसर की चमक, महिलाओं की मेहनत और ग्रामीण झारखंड की तरक्की की प्रेरक गाथा साथ-साथ आगे बढ़ती दिखाई देती है।
यह भी पढ़े: हार के बाद Prashant Kishor का बड़ा ऐलान- ‘नीतीश 6 महीने में वादा पूरा करें तो छोड़ दूंगा राजनीति’, कल करेंगे उपवास
