Ranchi: Jharkhand में राजमहल में आयोजित राजकीय माघी पूर्णिमा मेला के पहले दिन सुबह से ही श्रद्धालुओं का जो था गंगा स्नान एवं पूजन के लिए गंगा तट पर पहुंचा.
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— Anant Ojha BJP (@Anant_Ojha_BJP) February 24, 2024
इस मेले को आदिवासी महाकुंभ के नाम से भी जाना जाता है. यह मेला मग मां की पूर्णिमा पर झारखंड के राजमहल के उत्तर वाहिनी गंगा तट पर लगता है इस मेले के कई मायने हैं. यह मिला आदिवासी एवं गैर आदिवासी समाज की सांची संस्कृति का एक मेल है. इसके साथ ही यह समाज में एक अद्भुत मिसाल पेश करता है.
Jharkhand का माघी पूर्णिमा मेला है आदिवासी महाकुंभ
गंगा तट पर राजमहल में आदिवासी बड़ी संख्या में एक साथ जुड़ते हैं. इसलिए यह आदिवासियों का महाकुंभ भी माना जाता है. जिला प्रशासन की तरफ से प्रचार प्रसार बैनर में राजकीय माघी पूर्णिमा मेला के नाम से अंकित है. यहां साफाहोड़ आदिवासी समाज एवं विदिन समाज के श्रद्धालु अपने-अपने धर्म गुरुओं के साथ अनुशासिक तरीके से अपने अखाड़ा से निकलकर गंगा पूजन व गंगा स्नान एवं घंटा सूर्य उपासना के बाद लोटा में जल लेकर भीगे वस्त्र में ही अखाड़ा पहुंचते हैं.
यहां वह इष्ट देवता एवं अन्य देवी देवताओं की आराधना करते हैं.
Jharkhand News: साफाहोड़ आदिवासी ऐसे करते हैं आराधना
साफाहोड़ आदिवासी अखाड़ा में तुलसी का पेड़ रखकर एवं त्रिशूल गडकर ओम के उच्चारण के साथ पूजा अर्चना करते हैं और वही पूजा के पश्चात लोट के जल को श्रद्धालु अपने-अपने घर ले जाते हैं. आदिवासी गुरु बाबा पूजन के दौरान दांत की छड़ी का विशेष तौर पर उपयोग करते हैं.
Jharkhand News: गुरु शिष्य की परंपरा की अनोखी मान्यता
इस माघी पूर्णिमा मेला के दौरान गुरु शिष्य की परंपरा का अनोखा एवं प्राचीनतम उदाहरण देखने को मिलता है. गुरु बाबा अखाड़ा में अपने शिष्यों के आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक कष्टों का निवारण विशिष्ट आध्यात्मिक शैली द्वारा करते हैं. माना जाता है की माघी पूर्णिमा में गंगा स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है.विदिन समाज एवं साफाहोड़ आदिवासी समाज के अनुयायी ना ही मांस मदिरा का सेवन करते हैं और ना ही प्याज व लहसुन कहते हैं. वे विशुद्ध सादा भोजन एवं सादगी पूर्वक जीवन यापन करते हैं.
Jharkhand News: मांझी जान एवं जाहेर थान में देवताओं को पूछते हैं विदिन समाज
विदिन समाज के लोगों के द्वारा एक बड़ा अखाड़ा बनाया जाता है जहां झारखंड समेत पश्चिम बंगाल, नेपाल एवं बिहार के अनुयायी पहुंचते हैं. गुरुवार को हजारों की संख्या में विदिन समाज के श्रद्धालु वहां पहुंचे. धर्मगुरु अभिराम मरांडी ने कहा कि विदिन समाज के द्वारा गंगा स्नान के पश्चात लोटा में जल लेकर मांझी थान एवं जाहेर थान जाकर देवी देवताओं का जलाभिषेक करके पूजा अर्चना की जाती है.
मांझी थान में माझी हडाम, मांझी बुढ़ी, मरांडी बुरू एवं ताला कुल्ही और जाहेर थान में मरांग बुरी, पइल्चू बूढ़ी,पइल्चू हडाम एवं मओडेकू तुरूईक की पूजा अर्चना कर जलाभिषेक किया जाता है.
वहीं साफाहोड़ आदिवासी भी छोटे बड़े अखाड़ा बनाते हैं एवं अपने अपने धर्म गुरुओं के साथ गंगा स्नान एवं गंगा पूजन करते हैं.भीगे वस्त्र पहने लोटा में जल लेकर भेद की छड़ी से गुरु अपने शिष्यों के कष्ट का निवारण करते हैं.