
रांची: Bandhu Tirkey: झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि आदिवासियों के समन्वित, संतुलित, भेदभाव रहित और संपूर्ण विकास के लिए अगले 4 फरवरी 2024 को राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में झारखण्ड जनाधिकार मंच द्वारा आदिवासी एकता महारैली का आयोजन किया जायेगा.
समाज विरोधी तत्वों का हथियार और आहार नहीं बनने देंगे: Bandhu Tirkey
श्री तिर्की ने कहा कि इस महारैली में न केवल आदिवासियों के मुद्दे पर गहन विमर्श करते हुए आदिवासियों को वास्ताविक ज़मीनी स्थिति से परिचित कराया जायेगा बल्कि आवश्यकता होने पर तीव्र आंदोलन का भी फैसला लिया जायेगा. यह चुनावी साल है और अबतक केवल अपने मतलब के लिये आदिवासियों को माध्यम बनाकर स्वार्थी तत्वों ने अपना उल्लू सीधा किया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन अबकी बार आदिवासियों को केवल अपने मतलब के लिये वैसे स्वार्थी और समाज विरोधी तत्वों का हथियार और आहार नहीं बनने देंगे.
श्री तिर्की ने कहा कि आदिवासी, जल, जंगल और जमीन के पुजारी हैं और स्वाभाविक रूप से अपेक्षाकृत कहीं अधिक भोले-भाले होने के साथ ही वे स्वाभिमानी भी हैं और इसी के कारण उन्हें बरगलाना बहुत ज्यादा आसान है.
स्वतंत्रता के 75 साल के बाद भी आज आदिवासियों की स्थिति दयनीय बनी हुई है: Bandhu Tirkey
श्री तिर्की ने कहा कि आदिवासियों की इन्हीं कमजोरी के कारण स्वतंत्रता के 75 साल के बाद भी आज आदिवासियों की स्थिति दयनीय बनी हुई है और वे अपने जीवन की जटिल समस्याओं से जूझते हुए भोजन, वस्त्र, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि के लिये तो संघर्ष कर ही रहे हैं साथ-साथ अपनी जमीन से भी हाथ धोते जा रहे हैं.
श्री तिर्की ने कहा कि जिन लोगों का झारखण्ड की जमीन से भावनात्मक जुड़ाव नहीं है उनमें से अधिकांश लोग बाहर से आये हैं और उन्होंने झारखण्ड को चारागाह समझ लिया है. वैसे ही तत्वों द्वारा विशेष रूप से आदिवासियों को उनकी जमीन से उखाड़ा-उज़ाड़ा जा रहा है नतीजा यह कि आदिवासी, पलायन और विस्थापन के लिए मजबूर हैं.
केन्द्र सरकार द्वारा एक-एक कर आदिवासियों के अधिकारों को मारा जा रहा है: Bandhu Tirkey
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस सरकार के द्वारा आदिवासियों को अनेक अधिकार दिये गये लेकिन अभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार द्वारा एक-एक कर आदिवासियों के अधिकारों को मारा जा रहा है और यदि यही स्थिति बरकरार रही तो आदिवासी अपने जल, जंगल और जमीन के साथ ही अपनी संस्कृति से भी हाथ धो बैठेंगे.
श्री तिर्की ने कहा कि किसी भी हाल में और किसी भी परिस्थिति में आदिवासियों को अपने-आप को संभालना पड़ेगा और इसी के मद्देनज़र झारखण्ड जनाधिकार मंच द्वारा आदिवासी एकता महारैली का आयोजन किया गया है.
पाँचवी अनुसूची का लाभ भी झारखण्ड को नहीं मिल पा रहा है: Bandhu Tirkey
श्री तिर्की ने कहा कि पेसा कानून के साथ ही पाँचवी अनुसूची का लाभ भी झारखण्ड को नहीं मिल पा रहा है और यह दुर्भाग्य की बात है. इसके अतिरिक्त वन अधिकार कानून के कारण आदिवासियों के अधिकार सीमित हो गये हैं और उन आदिवासियों को अपने जंगल से विरक्त करने की कोशिश की जा रही है जहाँ उनका प्राण बसता है.
उन्होंने कहा कि झारखण्ड गठन के बाद पिछले 23 साल में झारखण्ड का अजीब गति से विकास हुआ है क्योंकि बहुत ही तेज गति से आदिवासियों का उज़ड़ना जारी है और आज रांची सहित झारखण्ड के बड़े नगरों में डेमोग्राफी में आदिवासी के परिप्रेक्ष्य में जिस प्रकार से नकारात्मक बदलाव हुआ है उसके कारण आदिवासी स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि व्यापक परिप्रेक्ष्य में झारखण्ड के लिये यह घातक स्थिति है.
श्री तिर्की ने आदिवासियों से अपील की कि वह अपने बीच किसी भी प्रकार के भेदभाव का उन्मूलन करने और अपनी विचारधारा को बचाने के लिये
आदिवासियत और आदिवासी संस्कृति के साथ एकजुट हो जायें.
अपनी जमीन की रक्षा के लिये व्यापक संघर्ष का आह्वान करते हुए श्री तिर्की ने कहा कि हर हाल में झारखण्ड के जमीनी स्वभाव को बचाने के साथ ही आपसी एकता को मजबूत रखना बहुत ज्यादा जरूरी है अन्यथा आदिवासी उखड़ने, बिखरने एवं सिमटने के लिये विवश होगा और झारखण्ड से गहराई से जुड़ा कोई भी आदिवासी हो या गैर आदिवासी व्यक्ति ऐसा कभी नहीं चाहेगा.
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