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AJSU महाधिवेशनः शिक्षा, चिकित्सा और महिला सशक्तिकरण पर विचार मंथन

विशेषज्ञों ने रखे विचार, झारखंड में स्थितियां कैसे बदले, बताये रास्ते

रांची। AJSU महाधिवेशन के दूसरे दिन भोजनावकाश के बाद आठवें- नवें सत्र में शिक्षा, चिकित्सा और महिला सशक्तिकरण पर विचार मंथन हुआ। विशेषज्ञों ने इन क्षेत्रों में झारखंड कैसे बेहतर कर सकता है, इस पर अपने अनुभव साझा किए।

खर्च बढ़ाए बिना स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारना मुश्किल है: AJSU

क्रिटिकल केयर फिजिशियन डॉ कौशल मे कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य वो दो मानक हैं, जिससे विकास का अंदाजा लगाया जा सकता है। शिक्षा और स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए पैसे चाहिए। झारखंड में प्रति व्यक्ति आय देश के औसत से कम है। हमें स्वास्थ्य क्षेत्र में ज्यादा खर्च करना पड़ेगा क्योंकि अति सुदूर इलाकों तक संसाधनों को पहुँचाने के लिए अधिक खर्च आता है। खर्च बढ़ाए बिना स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारना मुश्किल है।

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घर में डिलीवरी न हो इसके लिए जागरूक करना होगा: AJSU

डॉ रीना गोडसरा ने कहा कि डॉक्टर का आकलन ऑन द स्पॉट होता है। शहर और गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी फर्क है। मूलभूत सुविधा नहीं मिलने की वजह से मरीज दम तोड़ देते हैं। आज लोग गूगल सर्च कर के डॉक्टर के पास आते हैं। सहिया घर-घर जाती हैं और आयरन, कैल्शियम की गोली देती है। सहिया को अब यह बताने की जरूरत है कि वो हर गर्ववती महिला को बताए कि हर महीने महीने स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिले और उचित सलाह लें। घर में डिलीवरी न हो इसके लिए जागरूक करना होगा। राज्य में मौजूद सभी सरकारी गैर सरकारी मेडिकल कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की जरूरत है।

अमेरिका से ऑनलाइन जुड़े डॉ अविनाश गुप्ता ने कहा कि 30 साल से अमेरिका में रह रहे हैं। जब भी रांची वापस आते हैं तो एम्बुलेंस ले कर गांवों में जाते हैं और लोगों का इलाज करते है। वहां उनके बीपी,शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच करते हैं। शुगर, कोलेस्ट्रॉल और बीपी के इलाज से हार्ट अटैक को कम कर सकते हैं। गाँव में इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने की वजह वहां डॉक्टर नहीं जाते हैं।

महिलाओं में कुपोषण सबसे बड़ी समस्या है: AJSU

अमेरिका से ऑनलाइन जुड़ीं गीता गुप्ता ने कहा कि महिलाओं में कुपोषण सबसे बड़ी समस्या है। अमेनिया मुख्य कारण है जिससे गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। हाई बीपी और शुगर के प्रति जागरूकता नहीं है । तम्बाकू और दारू से भी ओरल कैंसर आम हो गया है, लेकिन इस बारे में ग्रामीणों को पता नहीं है। दवा लेने में भी ग्रामीण आना कानी करते हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं और जरूरतों के बारे में बताने के लिए हर गांव और पंचायत में कोई हेल्थ वर्कर होना चाहिए।

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प्रतीक राज ने ऑनलाइन जुड़कर शिक्षा की व्यवस्था और जरूरत पर अपनी बातें रखी। उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए आंदोलन की आवश्यकता है। स्कूलों की स्थिति को सुधरने की जरूरत है। राजनीतिक परिस्थिति कैसी भी लेकिन शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। महिला सशक्तिकरण

महिला सशक्तिकरण के लिए भी शिक्षा ही मजबूत आधार है: AJSU

महिला शिक्षा पर जोर देते हुए प्रो. कामिनी दास ने कहा कि झारखंड में संभावनाएं बहुत हैं। महिला शिक्षा पर योजनाबद्ध काम करने की जरबरत है। एक स्त्री शिक्षित होती है तो पूरे परिवार को शिक्षित करती है। समाज में बच्चियों को उड़ने के लिए पर दें, दौड़ने के लिए जमीन दें, बहुत कुछ बदलता जायेगा। महिला सशक्तिकरण के लिए भी शिक्षा ही मजबूत आधार है।

धीरज डैनियल होरो ने कहा कि ग्राम सभाओं में पुरूषों की भागीदारी ज्यादा होती है, महिलाओं को भी आगे लाना होगा। गांव के विकास में ग्राम सभा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। हमने युवाओं को ग्रामसभा से जोड़ने का काम किया ताकि हर वर्ग का विचार ग्राम सभा में आ पाए। ग्राम सभा को सशक्त करके ही स्वशासन की कल्पना साकार हो सकता है।

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कैसे गीतों में भी महिला सशक्तिकरण की झलक दिखती है: AJSU

प्रो. नीतिशा खलखो ने कुडुख समुदाय की गीत के जरिए आदिवासी महिला की छवि और उनके सवाल को दर्शाने का काम किया। इस गीत के माध्यम से खेती और शिकार से जुड़े कला संस्कृति को समझा जा सकता है। उन्होंने बताया कि कैसे गीतों में भी महिला सशक्तिकरण की झलक दिखती है।

नेहा सिंह ने कहा कि खेती किसानी के परंपरिक तरीके को आधुनिकता से जोड़ने की जरूरत है। बड़ी कंपनियों को महिलाओं के साथ हाथ मिला कर काम करने की आवश्यकता है। महिलाओं को अपनी ताकत और कमजोरी को पहचाने और उसके अनुसार काम करने के लिए मानसिक तौर पर तैयार हना पड़ेगा। महिलाओं में अपार क्षमता हैं और महिला सशक्तिकरण का खुद वाहक बन सकती हैं।

 

 

 

 

 

 

 

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