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भारत माँ के तीन सच्चे सपूत को मिला भारत रत्न: Babulal Marandi

Ranchi: Babulal Marandi: पूर्व प्रधानमंत्री स्व चौधरी चरण सिंह, स्व नरसिम्हा राव, कृषि वैज्ञानिक मनकोम्बू संबाशिवन स्वामीनाथन को भारत रत्न मिलने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया है।

कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत माँ के तीन सच्चे सपूत को भारत रत्न देने का निर्णय लिया है, यह ऐतिहासिक क्षण है।

Babulal Marandi कहा कि एक सामान्य किसान परिवार में जन्में असीम प्रतिभाओं के धनी, भारत के किसानों का मान सम्मान बढ़ाने वाले और लाल किले की प्राचीर से कृषि प्रधान भारत को एक महान राष्ट्र बनाने का सपना देखने वाले स्व. चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलना बहुत ही खुशी की बात है। लोकतंत्र पर जब इमरजेंसी के रूप में अंधेरे बादल छाए, चौधरी साहब ने उसका डटकर सामना किया और भारत को पुन: लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाई।

चौधरी साहब तथाकथित पिछड़ी जाति से थे: Babulal Marandi

कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल छोटा जरूर रहा, पर इस देश के नीति और निर्देशों में उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी। प्रधानमंत्री पद की सपथ लेकर उन्होंने ये साबित कर दिया कि इस देश को मात्र एक परिवार नहीं, बल्कि देश का एक आम किसान भी चला सकता है, और बहुत अच्छे से अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकता है। चौधरी साहब तथाकथित पिछड़ी जाति से थे परंतु उन्होंने देश को दुनिया की अग्रिम पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया।

उनकी भारतीय अर्थव्यवस्था और कृषि अर्थव्यवस्था पर लिखी गई लगभग 20 से ज्यादा किताबें आज भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि अर्थव्यवस्था को समझने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

Babulal Marandi ने कहा कि आर्थिक सुधारों के अग्रदूत भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व• नरसिम्हा राव जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र जीवन के दौरान ही की थी, बहुभाषी के रूप में उनकी क्षमताओं ने उन्हें स्थानीय जनता के साथ जुड़ने में काफी मदद की। नरसिम्हा राव ने वर्ष 1962 से वर्ष 1971 के दौरान आंध्र सरकार में विभिन्न मंत्री पदों पर कार्य किया, इसके पश्चात् उन्होंने वर्ष 1971 से वर्ष 1973 तक तत्कालीन आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी संभाली जिसके बाद उनके नेतृत्त्व में आंध्र प्रदेश में कई भूमि सुधार किये गए।

कहा कि प्रधानमंत्री के तौर पर नरसिम्हा राव जी को मुख्य रूप से उनके द्वारा किये गए सुधारों के रूप में पहचाना जाता है।

कहा कि सेबी अधिनियम 1992 (Securities and Exchange Board of India Act, 1992) और प्रतिभूति कानून (संशोधन) की शुरुआत हुई, जिसके माध्यम से SEBI को सभी प्रतिभूति बाज़ार मध्यस्थों को पंजीकृत और विनियमित करने का कानूनी अधिकार प्राप्त हुआ।

कहा कि संयुक्त उद्यमों में विदेशी पूंजी की हिस्सेदारी पर अधिकतम सीमा को 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 प्रतिशत करके प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment – FDI) को प्रोत्साहित किया गया।

कहा कि नई आर्थिक नीति के अलावा पीवी नरसिम्हा राव जी ने शीत युद्ध के बाद देश की कूटनीतिक नीति (Diplomacy Policy) को एक नया आकार देने में भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

कहा कि नरसिम्हा राव जी के कार्यकाल में ही भारत की ‘लुक ईस्ट’ नीति (Look East’ Policy) की भी शुरुआत हुई, जिसके माध्यम से भारत के व्यापार की दिशा को दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों की ओर किया गया।

Babulal Marandi ने कहा कि हरित क्रांति’ के माध्यम से भारतीय कृषि में बदलाव लाने वाले प्रख्यात आनुवंशिकीविद् और कृषि वैज्ञानिक मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन ने अपने पूरे जीवनकाल में एक ऐसी दुनिया की कल्पना के लिए लगातार काम किया जिसमें कोई भूखी या गरीब आबादी न हो।

कहा कि उन्होंने सतत विकास की अवधारणा, विशेष रूप से कृषि की पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों, खाद्य उपलब्धता और जैव विविधता संरक्षण के साथ भी महान काम किया। स्वामीनाथन को उनके शोध कार्य का लाभ भौगोलिक सीमाओं के पार फैलाने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा भी प्रशंसा मिली है। गेहूं की अधिक उपज देने वाली किस्मों के विकास में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत की हरित क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है।

 

 

 

 

 

 

 

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