Ankita Murder Case: झारखंड में बढ़ी है जिहादी गतिविधियां, लव जिहाद की शिकार हुई अंकिता

Ranchi: आज झारखंड शर्मसार है, दुखी है। दुमका की हमारी बेटी अंकिता (Ankita Murder Case) को एक वहशी शाहरूख ने अपने सनकीपन के कारण जिंदा जला दिया।

आज उस बेटी ने अपने प्राण त्याग दिये। वोट बैंक और तुष्टीकरण का नतीजा है झारखंड की बेटी अंकिता की नृशंस हत्या। शाहरुख नाम के अपराधी ने अंकिता पर पेट्रोल डाल कर जला डाला, लेकिन मुख्यमंत्री जी के मुंह आज तक एक आह तक नहीं निकली। इसे तुष्टीकरण नहीं कहें, तो क्या कहें! एक और हेमंत सरकार उपद्रवी नदीम को एयर एंबुलेंस से भेजकर सरकारी खर्च पर इलाज करवा रही है।

Ankita Murder Case: मैं अंकिता के हत्यारे को फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला चला कर एक सप्ताह में फांसी दिलाने की मांग करता हूं: रघुवर दास

दूसरी ओर झारखंड की बेटी अंकिता को उसी के हाल पर छोड़ दिया। मैं अंकिता के हत्यारे को फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला चला कर एक सप्ताह में फांसी दिलाने की मांग करता हूं।

यह सामान्य मामला नहीं है। हेमंत सरकार के सत्ता में आने के बाद से जिहादी ताकतें राज्य में सक्रिय हो गयी हैं। लव जिहाद के मामले भी बढ़ गये हैं। सोची-समझी रणनीति के तहत हमारी बच्चियों को टारगेट किया जा रहा है। खुफिया विभाग की रिपोर्ट में भी यह बात सामने आयी है कि पीएफआइ, जिस संगठन को हमारी सरकार ने 2018 में प्रतिबंधित कर दिया था, फिर से सक्रिय है।

Ankita Murder Case: धर्मांतरण, गौतस्करी जैसे मामले वहां आम हो गये हैं

संथाल की डेमोग्राफी में व्यापक बदलाव किया जा रहा है। कई क्षेत्रों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गये हैं। धर्मांतरण, गौतस्करी जैसे मामले वहां आम हो गये हैं। लेकिन हमारे राज्य के मुखिया को यह दिखाई नहीं देगा।

राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त है और हेमंत सरकार पिकनिक मानने में मस्त है। शायद ही ऐसा कोई राज्य होगा, जहां ऐसा राजा होगा जिसे अपनी जनता की नहीं केवल अपने सरकार बचाने की चिंता है। बहुत पहले एक कहावत सुनी थी जब रोम जल रहा था, नीरो बंसी बजा रहा था। आज वह चरितार्थ हो रही है। अपने कारनामों के कारण झारखंड को राजनीतिक अस्थिरता में झोंकने वाले श्री हेमंत सोरेन जी आज सीटी बजा रहे हैं। राज्य में बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं है।

आज अंकिता की हत्या केवल एक बानगी है। हेमंत सोरेन जी के राज में झारखंड में ऐसी हजारों अंकिता है जो बहशी-दरिंदो का शिकार बन रही हैं।

 

 

 

 

यह भी पढ़े: FIFA ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) का निलंबन हटाया

Exit mobile version