पटना। बिहार में चुनावी साल को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Sarkar) एक के बाद एक आयोगों का गठन कर सत्ता के साझेदारों को साधने की कोशिश में जुट गए हैं।
ताज़ा फैसले में उन्होंने भाजपा के रूप नारायण मेहता को राज्य किसान आयोग का अध्यक्ष और आरएलएम (उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी) के माधव आनंद को नागरिक परिषद का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके साथ ही कई अन्य आयोगों में भी एनडीए के सहयोगी दलों के नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां दी गई हैं।
Nitish Sarkar: किसान आयोग और नागरिक परिषद में नियुक्तियां
- किसान आयोग के अध्यक्ष बनाए गए रूप नारायण मेहता, भाजपा पटना महानगर अध्यक्ष हैं।
- नागरिक परिषद में 32 सदस्यों को शामिल किया गया है, जिसका अध्यक्ष खुद नीतीश कुमार और संरक्षक राज्यपाल हैं।
- इसमें माधव आनंद (RLM) को उपाध्यक्ष और मंजीत कुमार सिं को वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया है।
- परिषद में 7 महासचिव और 21 अन्य सदस्य भी नामित किए गए हैं।
Nitish Sarkar: उद्यमी एवं व्यवसाय आयोग का गठन
- इस आयोग के अध्यक्ष बनाए गए भाजपा नेता सुरेश रुंगटा।
- अरविंद कुमार निराला उपाध्यक्ष नियुक्त हुए।
- आयोग में कुल 8 सदस्य शामिल किए गए हैं, जिनमें बिहार के विभिन्न जिलों से नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जगह मिली है।
Nitish Sarkar: तेजस्वी यादव का हमला: बना दें ‘जमाई आयोग’
इस ताबड़तोड़ नियुक्तियों पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तंज कसते हुए कहा कि
“सरकार आयोगों को रिश्तेदारी निभाने का ज़रिया बना चुकी है। किसी को दामाद के नाम पर तो किसी को जीजा के नाम पर पद दिए जा रहे हैं। अब तो ‘जमाई आयोग’ बना देना चाहिए।”
तेजस्वी का इशारा अनुसूचित जाति आयोग की नियुक्तियों पर था, जिसमें
- मृणाल पासवान (लोजपा आर के अध्यक्ष चिराग पासवान के जीजा) को अध्यक्ष
- और देवेंद्र मांझी (हम पार्टी संरक्षक जीतनराम मांझी के दामाद) को उपाध्यक्ष बनाया गया है।
दूसरी ओर दर्दनाक घटना: साइकिल हटाने को लेकर हुई कहासुनी, युवक की हत्या
पूर्णिया से दुखद खबर आई है जहां एक मामूली विवाद में 27 वर्षीय युवक शरद कुमार उरांव की हत्या कर दी गई।
- घटना धमदाहा थाना क्षेत्र के कुकरौन गांव की है।
- शरद अपने दोस्तों के साथ नीरपुर बरान गांव गया था, लौटते समय बरान गांव में सड़क पर खड़ी साइकिल हटाने को लेकर झगड़ा हो गया।
- इसी दौरान बदमाशों ने उसकी हत्या कर शव को नहर में फेंक दिया।
पिता बंदे उरांव के बयान पर धमदाहा थाना में 5 नामजद आरोपियों के खिलाफ हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गई है।
यह घटना एक बार फिर बताती है कि बिहार में सड़क पर खड़े साइकिल जैसे छोटे विवाद भी जानलेवा बन सकते हैं, और कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं।
जहां एक ओर नीतीश सरकार आयोगों की बाढ़ से राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश कर रही है, वहीं विपक्ष इसे रिश्तेदारी का खेल बता रहा है। दूसरी तरफ, प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंता भी गहराती जा रही है। चुनावी साल में इन दोनों ही मोर्चों पर सरकार की भूमिका जनता के फैसले में निर्णायक हो सकती है।



