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Hemant Soren बन सकते हैं देश भर के आदिवासियों का चेहरा, प्रतिनिधियों ने की नेतृत्व संभालने की मांग

रांची | झारखंड के CM Hemant Soren अब राज्य से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी समाज की आवाज बन सकते हैं। गुरुवार को मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में देश के विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी प्रतिनिधियों ने उनसे मुलाकात की और आग्रह किया कि वे देशभर में चल रहे आदिवासी संघर्षों का नेतृत्व करें। इस दौरान मुख्यमंत्री ने भी भरोसा दिलाया कि वे समाज के अस्तित्व और अधिकारों की रक्षा के लिए देश भर में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

देशभर के संघर्षों को नेतृत्व दें Hemant Soren

कांके रोड स्थित सीएम आवास पर गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और मणिपुर सहित कई राज्यों के आदिवासी प्रतिनिधि जुटे। उन्होंने एकजुट होकर अपने हक-अधिकारों के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया और सीएम सोरेन से अपील की कि वे राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी समाज के आंदोलनों की अगुवाई करें। प्रतिनिधियों ने कहा कि झारखंड की पहल ने पूरे देश में आदिवासी समाज के बीच नई ऊर्जा का संचार किया है।

राष्ट्रीय राजनीति के एजेंडे में शामिल हो आदिवासी मुद्दे

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रतिनिधियों के आग्रह पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए कहा कि वे आने वाले दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा, “हमें एकजुट होकर ऐसा संघर्ष करना होगा जिससे हमारी समस्याएं केवल आवाज बनकर न रह जाएं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के एजेंडे का हिस्सा बनें। हमें यह बताना होगा कि हम बिखरे लोग नहीं, बल्कि एक राष्ट्र-समुदाय हैं।”

शिक्षा और संस्कृति के लिए अटूट प्रतिबद्धता: Hemant Soren

सीएम ने कहा कि उनकी सरकार आदिवासी संस्कृति, पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि झारखंड देश का पहला राज्य है, जहां आदिवासी समाज के विद्यार्थी सरकारी खर्च पर विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “आदिवासी समाज में एक नई रोशनी जगी है, इसे और प्रखर करने के लिए हम सभी को मिल-जुलकर प्रयास करना होगा।”

हम प्रकृति के पुजारी: Hemant Soren

पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति का उपासक है। आधुनिक समय में प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण बाढ़ और सुखाड़ जैसी आपदाएं बढ़ी हैं, ऐसे में प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा और दिशोम गुरु शिबू सोरेन के संघर्षों को याद करते हुए कहा कि झारखंड की मिट्टी में ही आदिवासी अस्मिता की शक्ति बसती है।

इस अवसर पर मंत्री दीपक बिरुआ, मंत्री चमरा लिंडा, विधायक कल्पना सोरेन और अशोक चौधरी समेत सैकड़ों प्रतिनिधि मौजूद रहे।

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