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Tejashwi Yadav ने उठाया बिहार चुनाव बहिष्कार का मुद्दा, महागठबंधन में चर्चा की संभावना जताई

वोटर लिस्ट रिवीजन पर मचा घमासान, चुनाव आयोग के दावों पर विपक्षी दलों का ऐतराज़

पटना। Tejashwi Yadav: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की सियासत में एक बड़ा धमाका हुआ है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और महागठबंधन के अघोषित मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने चुनाव बहिष्कार को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि विपक्षी दल इस पर विचार कर सकते हैं।

तेजस्वी का यह बयान तब आया है जब राज्य में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच जमकर टकराव जारी है।

तेजस्वी यादव ने एक न्यूज़ एजेंसी से बातचीत में कहा, “हो सकता है। इस बात पर भी चर्चा हो सकती है। जनता क्या चाहती है, सभी दलों की राय क्या है, इस पर विचार किया जाएगा। अगर सब कुछ पहले से तय है कि किसे कितनी सीट देनी है तो फिर चुनाव कराने का औचित्य ही क्या है।”

Tejashwi Yadav News: विधानसभा में भी विपक्ष का हंगामा

इस मुद्दे को लेकर विधानसभा सत्र में भी हंगामा देखा गया, जहां विपक्षी दलों ने विरोध दर्ज कराते हुए सदन से वॉकआउट किया। विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग की ओर से जारी वोटर लिस्ट रिवीजन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और इसका उद्देश्य विशेष समुदायों को चुनाव प्रक्रिया से बाहर करना है।

Tejashwi Yadav News: चुनाव आयोग का दावा

चुनाव आयोग ने बुधवार को एक बयान जारी कर दावा किया कि गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया में अब तक 98 फीसदी मतदाता कवर किए जा चुके हैं। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की जा रही है, जिसमें सभी नागरिकों को समुचित अवसर दिया जा रहा है।

Tejashwi Yadav News: विपक्ष की आशंका

बिहार में 25 जून से मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण शुरू हुआ है, जिसमें उन लोगों को पहचान पत्र सहित 11 प्रकार के दस्तावेज देने होंगे, जिनका नाम 2003 की विशेष पुनरीक्षण सूची में नहीं है। विपक्ष का कहना है कि यह प्रक्रिया गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों के खिलाफ एक साजिश है, जिससे उनके वोट काटे जा सकें।

आगे क्या?

यह पहला मौका है जब बिहार में विधानसभा चुनाव के बहिष्कार जैसे विकल्प पर गंभीरता से बात हो रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन के अन्य दल तेजस्वी के बयान का समर्थन करते हैं या नहीं। अगर बहिष्कार पर आम सहमति बनती है, तो यह राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर बड़ा असर डाल सकता है।

 

 

 

 

 

 

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