आरा: Bihar Crime: बिहार के भोजपुर जिले से एक अनोखे फर्जी अपहरण का मामला सामने आया है, जिसमें चारपहिया वाहन खरीदने के लिए एक युवक ने अपने दोस्तों के साथ खुद का अपहरण कर परिजनों से 60,000 रुपये फिरौती मांग ली।
पूरी योजना के तहत फर्जी वीडियो बनाया गया और फिर पुलिस की सतर्कता और मोबाइल ट्रैकिंग ने पर्दाफाश कर दिया। पुलिस ने दो युवकों को पीरो के पास से गिरफ्तार कर लिया है।
Bihar Crime: अपहरण का ड्रामा, फिरौती की डिमांड
यह मामला समस्तीपुर जिले के सिहुली गांव निवासी गोविंद कुमार से जुड़ा है। उसने अपने दोस्त रजनीश तिवारी (रोहतास निवासी) के साथ मिलकर एक फिल्मी साजिश रची। गोविंद ने जंगल में खुद को पेड़ से बंधवाया, कपड़े उतरवाए, और पिटाई का वीडियो शूट कर परिजनों को भेजा। इसके बाद रजनीश ने गोविंद के ही मोबाइल से फोन कर 60 हजार रुपये फिरौती मांगी और जान से मारने की धमकी भी दी।
Bihar Crime: पुलिस को शक, मोबाइल लोकेशन से मिली सुराग
गोविंद की पत्नी ने अपहरण की खबर मिलने के बाद स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस ने मोबाइल ट्रैकिंग के ज़रिए जांच शुरू की और लोकेशन गड़हनी में पाया गया। इसके बाद गड़हनी थानाध्यक्ष कमलजीत कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम ने पीरो के पास से गोविंद और रजनीश को धर दबोचा।
Bihar Crime: पूछताछ में किया गुनाह कबूल
पुलिस पूछताछ में दोनों ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया। गोविंद ने बताया कि वह पुणे से अपने गांव लौट रहा था, लेकिन पैसे की तंगी के कारण गाड़ी नहीं खरीद पा रहा था। परिवार ने जब मदद करने से इनकार कर दिया, तो उसने यह फर्जी अपहरण की योजना बनाई।
थानाध्यक्ष कमलजीत कुमार के अनुसार: “गोविंद और रजनीश ने जंगल में वीडियो शूट किया, उसे परिजनों को भेजा और फिरौती के लिए कॉल भी किए। जांच में सारी बातों की पुष्टि हो चुकी है।”
Bihar News: फिल्मी स्टाइल में बनाई अपहरण की पटकथा
1 जुलाई को गोविंद आरा स्टेशन पहुंचा और रजनीश के साथ मिलकर योजना को अंजाम दिया।
जंगल में खुद को पेड़ से बंधवाया और मारपीट का ड्रामा वीडियो शूट किया गया।
2 जुलाई को परिजनों को वीडियो भेजा गया और बार-बार फिरौती की कॉल की गई।
मोबाइल लगातार बंद और ऑन होता रहा ताकि परिजनों में डर बना रहे।
बाद में मोबाइल टॉवर लोकेशन ने पूरा राज खोल दिया।
समस्तीपुर से पीरो तक, पुलिस की मुस्तैदी से बच गई एक बड़ी ठगी
पुलिस ने समय रहते मामले का पर्दाफाश कर फर्जी अपहरण की यह साजिश नाकाम कर दी। अगर तकनीकी जांच न होती, तो परिजन डर के कारण पैसे ट्रांसफर भी कर सकते थे। फिलहाल, दोनों युवकों को गिरफ्तार कर जेल भेजने की प्रक्रिया चल रही है।