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झारखंड में ओबीसी समीकरण साधने की कवायद

झारखंड में ओबीसी समीकरण साधने की कवायद, भाजपा ने आदित्य साहू को बनाया प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष  

झारखंड में ओबीसी समीकरण साधने की कवायद, भाजपा ने आदित्य साहू को बनाया प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष

📍 रांची

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने झारखंड में ओबीसी वर्ग को साधने की रणनीति के तहत राज्यसभा सदस्य आदित्य साहू को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी ने यह बदलाव ऐसे समय में किया है जब राज्य की राजनीति में आदिवासी और ओबीसी का महत्वपूर्ण प्रभाव माना जाता है।

इससे पहले कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी रविंद्र पांडेय के पास थी, जो सामान्य (उच्च जाति) से आते हैं। फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष का पद पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी संभाल रहे हैं।

 

झारखंड की राजनीति में ओबीसी का प्रभाव काफी गहरा है। इससे पहले रघुबर दास जैसे नेता न सिर्फ संगठन में प्रभावशाली रहे बल्कि वे राज्य के मुख्यमंत्री भी बने। हालांकि, रघुबर दास को विरोधियों ने अक्सर “छत्तीसगढ़ निवासी” कहकर बाहरी बताने की कोशिश की। वहीं, आदित्य साहू झारखंड के मूल निवासी हैं और रांची जिले के ओरमांझी प्रखंड से आते हैं।

साफ-सुथरी छवि और लंबा संगठनात्मक अनुभव

आदित्य साहू की पहचान एक सादगीपूर्ण और साफ-सुथरी छवि वाले नेता के तौर पर है। संगठन, समाज और राजनीति—तीनों स्तरों पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है।

उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत वरिष्ठ भाजपा नेता और कई बार रांची से सांसद रहे रामटहल चौधरी के सहयोगी के रूप में की थी। उस समय वे सांसद प्रतिनिधि की भूमिका में थे।

संगठन में बढ़ता कद

1988-90: भाजपा ओरमांझी मंडल अध्यक्ष

2002-03: रांची ग्रामीण भाजपा जिला महामंत्री

2012-13: प्रदेश कार्यकारिणी समिति सदस्य

2014: प्रदेश उपाध्यक्ष

2019: प्रदेश महामंत्री

2023: पुनः महामंत्री चुने गए

इसके अलावा, उन्हें लगातार कई चुनावों में महत्वपूर्ण दायित्व दिए गए। 2019 विधानसभा चुनाव में वे पलामू प्रमंडल प्रभारी बने। 2024 विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें कोल्हान प्रमंडल का प्रभारी बनाया गया। इसके अतिरिक्त, 2024 लोकसभा चुनाव में वे चतरा लोकसभा के प्रभारी रहे, जहां पार्टी को उल्लेखनीय सफलता मिली।

शैक्षणिक और निजी जीवन

आदित्य साहू रांची विश्वविद्यालय से पीएचडी डिग्रीधारी हैं। उन्होंने यहीं से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की और बाद में रामटहल चौधरी कॉलेज में प्राध्यापक बने।

उनका परिवार खेती-किसानी से जुड़ा है। निजी जीवन में उनके परिवार में पत्नी, एक पुत्र और एक पुत्री हैं। राजनीतिक जीवन में वे अक्सर विवादों से दूर रहे हैं। पार्टी को उम्मीद है कि उनकी सादगीपूर्ण और स्वच्छ छवि का लाभ आने वाले समय में संगठन को मिलेगा।

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