Jan Suraaj की पहली लिस्ट में 30% टिकट अति पिछड़ों को, क्या नीतीश के ‘कोर वोट’ में लगेगी सेंध?

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले Jan Suraaj Party (जेएसपी) ने अपनी पहली 51 उम्मीदवारों की सूची जारी करके सियासी तापमान बढ़ा दिया है।

पार्टी के सुप्रीमो प्रशांत किशोर की अनुपस्थिति में राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने यह लिस्ट जारी की, जिसके बाद पार्टी दफ्तर में कुछ टिकट दावेदारों ने हंगामा भी किया। इस सूची की सबसे बड़ी खासियत इसका सामाजिक समीकरण है, जिसमें अति पिछड़ा (EBC) पर विशेष जोर दिया गया है।

Jan Suraaj  Candidate list: नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ी चुनौती?

जन सुराज की पहली सूची में 17 अति पिछड़ा (EBC) उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है, जो कुल सीटों का लगभग 30% है। प्रशांत किशोर ने बाद में मीडिया से कहा कि “किसी दूसरे दल की हिम्मत नहीं है कि 30 प्रतिशत ईबीसी समाज को टिकट दे।”

यह समीकरण सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कोर वोट बैंक को निशाना बनाता है। ईबीसी बिहार में नीतीश के सबसे मजबूत समर्थक माने जाते हैं। अति पिछड़ों को झोली भरकर टिकट देना नीतीश के वोट आधार पर चोट करने की जन सुराज की मंशा को साफ दर्शाता है। इसके अलावा, लिस्ट में 7 महिला और एक ट्रांसजेंडर कैंडिडेट भी हैं। महिलाएं भी शराबबंदी और जीविका दीदी जैसी योजनाओं के कारण नीतीश की कोर वोटर रही हैं।

Jan Suraaj: लालू-तेजस्वी की परेशानी बढ़ाएगा मुस्लिम कार्ड

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू यादव और तेजस्वी यादव के लिए जन सुराज से 11 ओबीसी टिकट मिलना बड़ी चिंता की बात नहीं हो सकती, क्योंकि ओबीसी वोटों का एक बड़ा हिस्सा अब भाजपा के साथ जुड़ चुका है। हालांकि, जन सुराज ने मिथिला और सीमांचल के जिलों को साधते हुए पहली ही लिस्ट में 7 मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं। यह 51 सीटों में लगभग 14% हिस्सेदारी है।

मुस्लिम समुदाय पारंपरिक रूप से आरजेडी का समर्थक रहा है। प्रशांत किशोर लगातार तेजस्वी के मुस्लिम नेताओं को उकसा रहे हैं कि वे आरजेडी से ज्यादा सीटों की मांग करें। जन सुराज का यह मुस्लिम कार्ड महागठबंधन और आरजेडी पर मुस्लिम कैंडिडेट बढ़ाने का दबाव बना सकता है, जिससे लालू-तेजस्वी के एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण पर आंच आ सकती है। लिस्ट में यादव कैंडिडेट की संख्या दो-तीन ही है, इसलिए यादव वोट बैंक पर फिलहाल सीधा खतरा कम है।

Jan Suraaj: भाजपा के सवर्ण और दलित वोट पर कितना असर?

जन सुराज की सूची में 9 सवर्ण और 7 दलित (SC) कैंडिडेट को टिकट दिया गया है। करीब 18% टिकट सवर्णों को देना भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि सवर्ण सामान्य रूप से भाजपा के साथ जुड़े रहे हैं। हालांकि, प्रशांत किशोर खुद को इस सवर्ण छवि से दूर रखकर राजनीति करना चाहते हैं।

वहीं, 7 दलित कैंडिडेट को उतारना भी दलित वोटों पर दांव है। लेकिन, राज्य के दो प्रमुख दलित नेता चिराग पासवान और जीतन राम मांझी पहले से ही बीजेपी के साथ एनडीए गठबंधन में हैं। ऐसे में जन सुराज के एससी कैंडिडेट मोदी-चिराग-मांझी के प्रभाव को कितना चुनौती दे पाएंगे, यह अभी देखना बाकी है।

अब एनडीए और महागठबंधन की लिस्ट का इंतजार

जन सुराज पार्टी ने अन्य बड़े गठबंधनों से पहले अपनी लिस्ट जारी कर ‘बाजी’ मार ली है। हालांकि, असली चुनावी समीकरण तब स्पष्ट होंगे जब सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) अपनी-अपनी उम्मीदवारों की सूची जारी करेंगे। तीनों दलों के उम्मीदवारों और सीट-वार वोट गणित को एक साथ देखने के बाद ही पता चल पाएगा कि प्रशांत किशोर के कैंडिडेट खुद जीतेंगे या किसी और दल के जीत का कारण बनेंगे।

 

 

 

 

 

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