
रांची: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री Raghubar Das ने हेमंत सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बुधवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, दास ने कहा कि झारखंड में एक आदिवासी मुख्यमंत्री के बावजूद, राज्य का आदिवासी समाज अपने संवैधानिक अधिकारों, विशेषकर पेसा (PESA) कानून के तहत, से वंचित है।
2019 में पेसा क़ानून का ड्राफ्ट तैयार होकर विभागों को मंतव्य के लिए भेजा जा चुका था। लेकिन आज वही काम दोबारा करके जेएमएम-कांग्रेस की सरकार ने यह साबित कर दिया है कि वह इस कानून को लागू करने के प्रति गंभीर नहीं है।
जनजातीय समाज को अधिकार देने के बजाय सरकार लगातार प्रक्रिया को… pic.twitter.com/7t0cCgE1r0
— BJP JHARKHAND (@BJP4Jharkhand) September 10, 2025
पेसा कानून और खनिज संसाधनों की लूट: Raghubar Das
रघुवर दास ने कहा कि पेसा कानून अधिसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को लघु खनिज, बालू, पत्थर और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन का अधिकार देता है। उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार ने अपनी ‘निहित स्वार्थ’ के कारण पेसा नियमावली लागू नहीं की, जिससे “बिचौलिए और दलाल” खनिज संसाधनों को लूट रहे हैं और मुख्यमंत्री की तिजोरी भर रहे हैं।
उन्होंने सरकार पर न्यायालय की अवमानना का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने 2,000 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य निर्धारित कर बालू के लिए विज्ञापन जारी किया है, जबकि हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा रखी है। दास ने इस लूट की सीबीआई जांच कराने की मांग की।
निकाय चुनाव और केंद्रीय अनुदान की हानि: Raghubar Das
पूर्व मुख्यमंत्री ने नगर निकाय चुनावों में देरी पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार न तो गाँवों का विकास चाहती है और न ही शहरों का। निकाय चुनाव न कराकर सरकार प्रति वर्ष 1,800 करोड़ रुपये के केंद्रीय अनुदान से झारखंड को वंचित रख रही है।
दास ने आरोप लगाया कि सरकार ने ट्रिपल टेस्ट पूरा न कराकर पिछड़ों को उनके अधिकार से वंचित रखा है। उन्होंने कहा कि राज्य में अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग का भी गठन नहीं किया गया है।
‘दलाल और विदेशी ताकतें चला रही हैं सरकार’
रघुवर दास ने हेमंत सरकार पर दलालों, बिचौलियों और “विदेशी धर्म मानने वालों” के दबाव में काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह सरकार तुष्टिकरण में डूबी हुई है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आदिवासी, पिछड़ा और दलित समाज सड़क पर उतर गया, तो सरकार को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
दास ने राज्य सरकार से तुरंत निकाय चुनाव कराने और पेसा कानून को कैबिनेट में पारित कर लागू करने की मांग की।
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