Patna: बिहार के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व उप-मुख्यमंत्री Tejashwi Yadav पर गंभीर आरोप लगे हैं। उप-मुख्यमंत्री का सरकारी बंगला खाली करने के बाद उन पर आरोप है कि उन्होंने वहां लगे कई सामान, जैसे एसी, सोफा, कुर्सी, पर्दे और लाइटें, अपने निजी घर ले गए हैं।
इन आरोपों के बाद तेजस्वी यादव ने कानूनी नोटिस देने की धमकी दी है और इसे राजनीति से प्रेरित बताया है। यह पहली बार नहीं है जब तेजस्वी पर इस तरह के आरोप लगे हों।
Tejashwi Yadav News: पहले भी लगे थे आरोप
इससे पहले भी, जब नीतीश कुमार की पलटी के बाद तेजस्वी को सत्ता से बाहर होना पड़ा था और उन्हें उप-मुख्यमंत्री का बंगला खाली करना पड़ा था, तब भी उन पर बंगले में राजसी सुविधाएं स्थापित करने और नियमों के उल्लंघन के आरोप लगे थे। उस समय, स्व. सुशील मोदी ने भी उन पर आरोप लगाए थे कि बंगले को महल जैसा सजाया गया था, और यहां तक कि शौचालय में भी एसी लगवाए गए थे।
अखिलेश यादव से तुलना
तेजस्वी यादव की इस स्थिति की तुलना उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से की जा रही है। जब अखिलेश ने चुनाव हारने के बाद सरकारी बंगला खाली किया था, तब उन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने नल की टोटी और अन्य सामान निकाल कर ले गए थे। संयोग से, अखिलेश और तेजस्वी यादव आपस में रिश्तेदार भी हैं, इसलिए राजनीतिक गलियारों में यह मामला और गर्म हो गया है।
भाजपा के आरोप और Tejashwi Yadav की प्रतिक्रिया
भाजपा ने आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव ने बंगले में लगे सामान को गायब कर दिया है। हालांकि, अभी तक बिहार के भवन निर्माण विभाग, जो इन सरकारी बंगलों की देखरेख करता है, ने इन आरोपों की पुष्टि नहीं की है। तेजस्वी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह एक साजिश है और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
साज-सज्जा और खर्च पर सवाल
इस विवाद ने सरकारी बंगलों में अत्यधिक खर्च पर भी सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ऐसे बंगलों की रंगाई-पोताई और साज-सज्जा पर सालाना लाखों रुपए खर्च होते हैं। 5 साल के कार्यकाल में 50 लाख रुपए सिर्फ रंगाई-पोताई पर खर्च करना लोकतंत्र में सामंतशाही के बढ़ते प्रभाव का संकेत है।
Tejashwi Yadav की छवि और मीडिया का रुख
तेजस्वी यादव की छवि पर पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोपों का साया है, इसलिए लोग उन पर लगे आरोपों को जल्दी से सच मान लेते हैं। मीडिया भी बिना तथ्यों की पूरी जांच किए, ऐसी खबरों को प्रमुखता से दिखाता है, जिससे उसकी विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े होते हैं।
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