
कांग्रेस नेता Rahul Gandhi के हाल ही में हुए धार्मिक स्थल दौरे को लेकर राजनीति गरमा गई है। राहुल गांधी ने मंदिर जाने की बजाय खानकाह मस्जिद में हाज़िरी लगाई, जिसके बाद बीजेपी ने तीखे सवाल खड़े कर दिए।
विपक्षी दलों के बीच यह मुद्दा अब बहस का केंद्र बन गया है।
बीजेपी का आरोप – क्या Rahul Gandhi ने खुद किया चयन या फिर तेजस्वी और तीसरे पक्ष का असर था?
भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी के इस कदम पर सीधा हमला बोला है। पार्टी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी ने मंदिर जाने से परहेज़ क्यों किया? क्या यह निर्णय उन्होंने खुद लिया, या फिर यह तेजस्वी यादव की सलाह थी? बीजेपी ने यहां तक कहा है कि कहीं यह किसी “तीसरे” यानी भारत से बाहर बैठे ताकतवर समूह का सुझाव तो नहीं था। बीजेपी प्रवक्ताओं ने तंज कसते हुए कहा कि राहुल गांधी हमेशा हिंदू भावनाओं से दूरी बनाकर चलते हैं और उनकी धार्मिक यात्राओं में भी चयनित जगहों पर जाने की प्रवृत्ति नज़र आती है।
कांग्रेस का पलटवार, Rahul Gandhi सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, बीजेपी कर रही ध्रुवीकरण
वहीं कांग्रेस ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी ने हमेशा सभी धर्मों और समुदायों के बीच एकता का संदेश दिया है। मंदिर हो, मस्जिद हो या गुरुद्वारा – राहुल गांधी सभी जगह जाते हैं। उनका मानना है कि बीजेपी केवल धार्मिक ध्रुवीकरण कर वोटों की राजनीति करना चाहती है। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने यह भी कहा कि राहुल गांधी का मस्जिद जाना उनके सर्वधर्म समभाव की सोच को दर्शाता है। उन्होंने इसे भारतीय परंपरा और संविधान की मूल भावना से जोड़कर पेश किया।
क्या तेजस्वी यादव की रणनीति थी Rahul Gandhi का यह कार्यक्रम?
बीजेपी की ओर से बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को भी घेरा जा रहा है। पार्टी का कहना है कि क्या राहुल गांधी का यह कार्यक्रम तेजस्वी यादव की सलाह पर तय हुआ था? या फिर कांग्रेस-राजद गठबंधन की रणनीति के तहत राहुल गांधी को मस्जिद भेजा गया?
तेजस्वी यादव ने हालांकि इस पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की है, लेकिन उन्होंने यह ज़रूर कहा कि धर्म और आस्था व्यक्तिगत विषय हैं, और किसी को भी इसे राजनीति का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। राहुल गांधी के इस एक कदम ने आने वाले चुनावी मौसम से पहले राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है। जहां बीजेपी इसे हिंदू विरोधी रवैये से जोड़ रही है, वहीं कांग्रेस इसे भारतीय संस्कृति की विविधता का सम्मान बताकर बचाव कर रही है।



