Ranchi: झारखंड राज्य की वरिष्ठ आईएएस अफसर पूजा सिंघल के ठिकानों पर ईडी की रेड (Scam) में क्राई इंपॉर्टेंस डाक्यूमेंट्स हाथ लगे हैं. दावा यह किया जा रहा है कि पूजा सिंघल के आवास से एक डायरी बरामद हुई है. इसमें रसूखदारों नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के द्वारा की गई ट्रांजैक्शन का जिक्र है. यह भी माना जा रहा है कि इस प्रकरण में पूछताछ के लिए ईडी पूजा सिंघल के साथ कई और अन्य लोगों को तलब कर सकती है. पूजा सिंघल लगातार क्या आरोप लगते रहे हैं और वाह हर दफा जांच में दोषमुक्त होते रहे हैं. ईडी पहलुओं को जुटाकर जांच की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है. पूजा सिंघल को बचाने में मौजूद रहे अफसरों जी भूमिका जी नए तरीके से जांच की संभावना बताई जा रही है.
ED raid at a location linked to IAS Pooja Singhal underway in Ranchi, Jharkhand. Several trunks were loaded in a bus amidst tight security by CRPF. pic.twitter.com/sNtawV81Z0
— ANI (@ANI) May 6, 2022
Scam: खूंटी में डीसी रहने के वक्त 18 करोड रुपए का मनरेगा घोटाला
पूजा सिंघल के खूंटी में डीसी रहने के वक्त 18 करोड रुपए का मनरेगा घोटाला हुआ था. जिसके पश्चात राजेश शर्मा डीसी बने तो ग्रामीण विकास विभाग गड़बड़ियों की जांच कराने की अनुशंसा की. आदमी कमेटी बनाकर इस मामले की जांच कराई तो गड़बड़ी की पुष्टि हुई. साल 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो ने खूंटी में मनरेगा घोटाले की जांच एसीबी से करवाने के ऑर्डर दिए थे. परंतु यह ऑर्डर कभी एसीबी तक पहुंचा ही नहीं.
डिपार्टमेंटल कमेटी की जांच रिपोर्ट के पश्चात पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के तत्कालीन प्रिंसिपल सेक्रेट्री एसपी सिंह खो डिपार्टमेंटल एंक्वायरी का जिम्मा दिया गया. डिपार्टमेंटल इंक्वायरी की जांच रिपोर्ट में पूजा सिंघल को दोषी नहीं माना गया. रघुवर दास सरकार के कार्यकाल के दौरान 27 फरवरी 2017 को कार्मिक प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने संकल्प जारी कर उन्हें दोष से मुक्त कर दिया.
पलामू में वन भूमि को झाड़ और जंगल बता 80 एकड़ भूमि को कम दाम पर हस्तांतरित करने के आरोप
पलामू जिले के कठौतिया कोल परियोजना की वन भूमि को झाड़ और जंगल बता 80 एकड़ भूमि को कम दाम पर हस्तांतरित करने के प्रकरण में भी तत्कालीन डीसी पूजा सिंघल और अन्य अफसरों के विरुद्ध जांच प्रारंभ हुई थी. पूर्व प्रमंडलीय आयुक्त एनके मिश्रा की जांच रिपोर्ट के आर पर तत्कालीन आयुक्त जेपी लाकड़ा ने पूजा सिंघल के विरुद्ध निगरानी जांच की अनुशंसा की थी. परंतु सरकार से निगरानी में एफ आई आर की परमिशन नहीं मिली. पलामू के पूर्व कमिश्नर एनके मिश्रा ने भी कठौतिया कोल माइंस भूमि आवंटन के प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट दी थी.
रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में तत्कालीन प्रिंसिपल सेक्रेट्री राजबाला वर्मा ने एक जांच कमेटी का गठन किया था. समिति ने पूरे प्रकरण की जांच करके रिपोर्ट सरकार को सौंपी. राजबाला वर्मा ने रिपोर्ट को आधार बनाकर पूजा सिंघल को सभी आरोपों में बरी कर दिया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में भी एक मामला चल रहा है.
वर्ष 2017 में रघुवर दास के कार्यकाल के दौरान हुए मोमेंटम झारखंड में पूजा सिंघल ओएसडी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थी. झारखंड के पश्चात आयोजन को लेकर भिन्न-भिन्न आरोप लगे थे. झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन के सरकार बनने के पश्चात मोमेंटम झारखंड पर इंक्वायरी बैठाई गई. परंतु इस कार्यक्रम को सफल बनाने की अहम भूमिका में रहे पूजा सिंघल कोही उद्योग सचिव बना दिया गया. इसके बाद उनको खान सचिव, झारखंड खनिज विकास निगम और झारखंड औद्योगिक क्षेत्रीय विकास प्राधिकार जैसे अहम पदों का भी प्रभार मिल गया.
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