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आदिवासियों की सबसे बड़ी विरोधी पार्टी रही है कांग्रेस: Pratul Shahdeo

भाजपा प्रवक्ता ने कांग्रेस पर लगाया आदिवासी समाज को छलने का आरोप

 

रांची: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता Pratul Shahdeo ने कांग्रेस पार्टी पर आदिवासी विरोधी होने का तीखा आरोप लगाते हुए कहा है कि जिनका इतिहास आदिवासियों पर अत्याचार से भरा हुआ है, वे अब घड़ियाली आँसू बहाना बंद करें।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सहित अन्य नेता इन दिनों आदिवासी हितों के नाम पर नाटक कर रहे हैं, जबकि उनका वास्तविक इतिहास शोषण, दमन और राजनीतिक सौदेबाज़ी का रहा है।

गोलीकांडों और आंदोलनों का हवाला

Pratul Shahdeo ने सरायकेला-खरसावां गोलीकांड और गुआ गोलीकांड का ज़िक्र करते हुए कहा कि इन घटनाओं में हजारों आदिवासियों को गोलियों से भून दिया गया, और दोषियों को बचा लिया गया। उन्होंने कहा कि इन दोनों ही घटनाओं के वक्त झारखंड में कांग्रेस की सरकार थी।

“कांग्रेस ने झारखंड आंदोलन का हमेशा विरोध किया और आदिवासी नेतृत्व को कुचलने की कोशिश की। कई मौकों पर उसने झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसदों को भी ख़रीद लिया, लेकिन अलग राज्य की मांग को नहीं माना,” – प्रतुल शाहदेव

द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ वोटिंग पर सवाल

भाजपा प्रवक्ता Pratul Shahdeo ने यह भी कहा कि जब देश को पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिल रही थी, तो कांग्रेस ने उनका विरोध किया।

द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ वोटिंग कर कांग्रेस ने साबित कर दिया कि उसका आदिवासी प्रेम सिर्फ दिखावा है। उन्होंने अपने सहयोगी दलों से भी उनके खिलाफ वोट डलवाया।”

इतिहास दागदार है, धोने से नहीं धुलेगा: Pratul Shahdeo

प्रतुल शाहदेव ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि अब जब आदिवासी समुदाय जागरूक हो गया है, तब कांग्रेस उनके नाम पर सहानुभूति बटोरना चाहती है। लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि जनता उनके असली चेहरे को पहचानती है।

“यह पाप चाहे जितना भी धो लें, ये दाग इतने काले हैं कि कभी नहीं धुलेंगे।”

प्रतुल का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में हूल दिवस और आदिवासी मुद्दों को लेकर सियासत गरम है। कांग्रेस और झामुमो सरकार लगातार एक-दूसरे पर आदिवासी हितों के नाम पर आरोप-प्रत्यारोप कर रही हैं।

भाजपा ने कांग्रेस को आदिवासी समाज के प्रति “दोहरे चरित्र” का आरोप लगाते हुए कटघरे में खड़ा किया है, वहीं कांग्रेस का पक्ष अभी सामने नहीं आया है। हूल दिवस की पृष्ठभूमि में यह विवाद आने वाले चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।

 

 

 

 

 

 

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