
रांची। झारखंड विधानसभा के पूरक मानसून सत्र के समापन पर विधानसभा अध्यक्ष Rabindranath Mahto ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया।
उन्होंने सदस्यों को अपनी जनप्रतिबद्धता और स्थानीय समस्याओं की उपेक्षा कर दलगत निर्देशों को प्राथमिकता देने से बचने की सलाह दी। उन्होंने जोर दिया कि चुने गए जनप्रतिनिधियों को जनता की आवाज़ को प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि यही लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा को बनाए रखता है। उन्होंने विशेष रूप से आग्रह किया कि कम से कम प्रश्नकाल में तो सदस्य दलगत राजनीति से ऊपर उठें।
Rabindranath Mahto: संसदीय परंपरा और विट्ठलभाई का उल्लेख
अपने भाषण में, उन्होंने सदन के पहले भारतीय अध्यक्ष विट्ठलभाई के संसदीय अनुशासन का भी उल्लेख किया। उनका मानना था कि सदन की शक्ति उसकी परंपरा और अनुशासन में होती है, अन्यथा यह सिर्फ बहस का एक मंच बनकर रह जाएगा।
Rabindranath Mahto: ऐतिहासिक प्रस्ताव और विधायी कार्य
इस सत्र के दौरान, एक ऐतिहासिक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया, जिसमें झारखंड राज्य के निर्माता, दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान करने की मांग की गई। सत्र में प्रथम अनुपूरक बजट सहित 5 अन्य राजकीय विधेयक भी पारित हुए।
Rabindranath Mahto: सत्र के मुख्य आँकड़े
स्पीकर ने बताया कि इस सत्र में कुल 324 प्रश्न स्वीकृत हुए, जिसमें 107 अल्पसूचित, 183 तारांकित और 34 अतारांकित प्रश्न शामिल थे। इसके अतिरिक्त, 70 शून्यकाल सूचनाएं और 34 गैर-सरकारी संकल्प भी प्राप्त हुए।
सदन का स्थगन
अंत में, स्पीकर ने सत्र के सफल संचालन के लिए मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद, नेता प्रतिपक्ष और सभी सदस्यों का धन्यवाद किया। उन्होंने अपने भाषण के बाद सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
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