Ranchi: Raghubar Das: पांच लाख नौकरियों के वादे के साथ सत्ता में आयी हेमंत सरकार की वादाखिलाफी के कारण झारखंड के युवाओं में सरकार के खिलाफ आक्रोश है।
#Jharkhand : पूर्व सीएम रघुवर दास का हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना…@dasraghubar @MithileshJMM pic.twitter.com/jy8APxOTBt
— Zee Bihar Jharkhand (@ZeeBiharNews) September 23, 2022
साथ ही परिवार और अपने नजदीकी लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए हेमंत सरकार के संरक्षण में पिछले ढाई वर्ष में झारखंड के जल-जंगल और जमीन और खनिज संपदा की जमकर लूट हुई है। इसका उदहारण साहेबगंज जैसा एक पिछड़ा जिला है। इस एक जिले से ही ईडी की जांच में लगभग 1400-1500 करोड़ रुपये के अवैध उत्खनन की बात सामने आयी है। इस उत्खनन में मुख्यमंत्री जी के विधायक प्रतिनिधि का नाम सबसे आगे है।
लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए हेमंत सोरेन जी हर रोज नयी-नयी लोक लुभावनी घोषणाएं कर रहे हैं: Raghubar Das
हेमंत सरकार के इन कारनामों के कारण झारखंड को लोग सरकार से काफी नाराज हैं। इसी नाराजगी और आक्रोश को दबाने और लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए हेमंत सोरेन जी हर रोज नयी-नयी लोक लुभावनी घोषणाएं कर रहे हैं। यह बात भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवम पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कही।
Raghubar Das ने कहा कि इसी कड़ी में उन्होंने 1932 के खतियान और आरक्षण नीति को घोषणा भी की है।
15.11.2000 में झारखंड राज्य का गठन हुआ। राज्य गठन के बाद उस समय सरकार ने अधिसूचना संख्या 3389, दिनांक 29.09.2001 द्वारा एकीकृत बिहार के परिपत्र संख्या 806, दिनांक 03.03.1982 को अंगीकृत किया गया, जिसमें जिला के आधार पर स्थानीय व्यक्ति की पहचान उनके नाम, जमीन, वासगीत, रिकार्ड ऑफ राइट्स के आधार पर की गयी थी।
इसी संदर्भ में माननीय झारखंड उच्च न्यायालय ने दो वाद यथा डब्ल्यूपी (पीआईएल) 4050/02 एवं वाद संख्या डब्ल्यूपी पीआइएल 2019/02 के मामले में 27.11.2002 को पारित अपने विस्तृत आदेश के जरिए स्थानीयता को परिभाषित किए जाने संबंधी संकल्प को गलत बताया था और स्थानीयता को परिभाषित करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए थे। उक्त आदेश के आलोक में अनेक सरकारें आईं, कमेटियां बनाई गई, लेकिन स्थानीय व्यक्ति को परिभाषित करने और उसकी पहचान के मापदंड को निर्धारित करने का मामला विचाराधीन था।
उन्होंने कहा कि जब हमारी भाजपा की सरकार आई तब हमने दिनांक 07.04.2015 को विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ सर्वदलीय बैठक आहूत की, सामाजिक संगठनों से परामर्श लिया तथा झारखंड के बुद्धिजीवियों के साथ विचार विमर्श किया। माननीय झारखंड उच्च न्यायालय के द्वारा दिए गए सुझाव को ध्यान में रखते हुए 7.4.2016 को स्थानीयता को परिभाषित करते हुए, उस नीति को नियोजन की नीति से जोड़कर भारी संख्या में झारखंड के बच्चे बच्चियों को नियुक्ति दी गई।
1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता को परिभाषित करने संबंधी निर्णय, न्यायालय की अवमानना होगी: Raghubar Das
हमारी सरकार ने स्थानीय निवासियों की परिभाषा को इस तरह से परिभाषित किया था कि किसी भी वर्ग को किसी भी प्रकार के भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ेगा। वर्तमान सरकार ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता को परिभाषित करने संबंधी निर्णय लिया है और इनको भी पता है कि इसे लागू करना न्यायालय की अवमानना होगी। इसलिए इनके द्वारा इस नीति को लागू नहीं किया जाएगा, ऐसी योजना बनाई गई है।
कहा कि स्वयं मुख्यमंत्री जी 23 मार्च 2022 को इसकी वैधानिकता के बारे में राज्य की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा में घोषणा कर चुके हैं। इनके द्वारा यह कहा गया है कि 1932 वाली स्थानीयता की नीति को संविधान की 9वीं अनुसूची में सम्मिलित होने के उपरांत लागू किया जाएगा, जो कभी भी संभव नहीं हो पाएगा।
यह स्थानीय नीति उलझाने, लटकाने और भटकाने की नियत से घोषित की गयी है: Raghubar Das
कहा कि स्थानीयता का मामला हो या आरक्षण का मामला, यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र का मामला है। साथ ही इस नीति को नियोजन से भी नहीं जोड़ा गया है। अतः स्पष्ट है कि सरकारी नियुक्तियों में भी वर्तमान में झारखंडवासियों को 1932 अथवा स्थानीयता का कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। पांच लाख नौकरी देने के वादे को पूरा नहीं करने के कारण सरकार के प्रति युवक-युवतियों में रोष है। इसलिए यह स्थानीय नीति उलझाने, लटकाने और भटकाने की नियत से घोषित की गयी है।
सरकार ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता परिभाषित की।
इस बजट सत्र में 22 मार्च 2022 को स्वयंं मुख्यमंत्री जी ने इसकी वैधानिकता के बारे में राज्य की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा में सवाल उठाये थे।
स्पष्ट है कि यह स्थानीय नीति उलझाने, लटकाने और भटकाने की नियत से घोषित की गयी है। pic.twitter.com/me9DtfPbGf
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जहां तक आरक्षण में बढ़ोतरी का निर्णय है, यह निर्णय भी असंवैधानिक है। इसे लागू करना असंभव सा प्रतीत होता है। इस तरह यहां के आदिवासी, मूलवासी और पिछड़ों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है। उन्हें धोखा दिया गया है। किसी को भी आरक्षण देने के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार उस श्रेणी के छात्रों की संख्या और उनके प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करना आवश्यक है।
इसी क्रम में भाजपा सरकार के समय 2019 में राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों को सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, जिससे पता चलता है कि यह रिपोर्ट अभी तैयार नहीं हुई है।
कहा अगर सरकार ने वह रिपोर्ट तैयार नहीं की है, तो आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने में कौन-कौन से कारक को ध्यान में रखा गया है, यह भी सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। सरकार द्वारा किसी सर्वेक्षण की रिपोर्ट को ध्यान में नहीं रखा गया है और ना ही आरक्षण को सही तरीके से देने के लिए जिस प्रक्रिया की आवश्यकता है, उसका पालन किया गया है।
यह राजतंत्र नहीं है, लोकतंत्र है: Raghubar Das
कहा जिस तरह से वर्तमान सरकार अपने पद का दुरुपयोग कर खनन व्यापार में लिप्त है, उसी तरह आरक्षण को भी सरकार अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए व्यापारिक रूप देकर झारखंडवासियों को धोखा दे रही है। मुख्यमंत्री जी यह राजतंत्र नहीं है, लोकतंत्र है। निर्धारित प्रक्रिया पूर्ण किये बिना इस तरह का फैसला लेना प्रजातंत्र में नहीं होता है।
कहा कि विगत ढाई वर्षों में झामुमो-कांग्रेस की सरकार ने कोयला, बालू, गिट्टी की लूट, शराब के व्यापार में और ट्रांसफर-पोस्टिंग में हजारों करोड़ रुपए की उगाही की है। यहां तक कि मुख्यमंत्री ने अपने व अपने परिवार वालों के नाम पर माइनिंग लीज भी ली, जिसका परिणाम है कि मुख्यमंत्री, उनके परिवारवाले तथा सहयोगी केंद्रीय एजेंसियों की रडार पर हैं।
आज की प्रेसवार्ता में प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक, प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव,सह मीडिया प्रभारी तारिक इमरान भी उपस्थित रहे।