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आदिवासी मुद्दों के साथ समझौता कभी नहीं, हम लड़ेंगे और जीतेंगे भी: Bandhu Tirkey

आदिवासी एकता महारैली के मद्देनज़र आदिवासियों से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों से सम्बंधित मुद्दे के मसौदे का विमोचन कल 24 जनवरी को

रांची: झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष Bandhu Tirkey ने कहा है कि आदिवासियों से जुड़े मुद्दे पर कभी भी किसी भी हाल में समझौता नहीं हो सकता.

समान विचारधारा के लोग एवं संगठन न केवल लड़ेंगे बल्कि वह निश्चित रूप से जीतेंगे भी: Bandhu Tirkey

श्री तिर्की ने कहा कि आदिवासियों की ज्वलंत समस्याओं पर गंभीर आदिवासी संगठन और समान विचारधारा के लोग एवं संगठन न केवल लड़ेंगे बल्कि वह निश्चित रूप से जीतेंगे भी.

आज राजधानी स्थित अपने आवास पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए श्री तिर्की ने कहा कि आदिवासी जनाधिकार मंच द्वारा अगले 4 फरवरी 2024 को आयोजित आदिवासी एकता महारैली में आदिवासियों के ज्वलंत मुद्दों, समस्याओं और उनकी वर्तमान परिस्थितियों के सन्दर्भ से संबंधित विशेष मसौदे का लोकार्पण 24 जनवरी को ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान के मंच पर इस महारैली के संयोजकों द्वारा विमोचन किया जायेगा.

समारोह में मुख्य अतिथि आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाजीराव मोघे होंगे: Bandhu Tirkey

श्री तिर्की ने कहा कि इस समारोह में मुख्य अतिथि आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाजीराव मोघे होंगे. इसके साथ ही गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राठवा के साथ अनेक गणमान्य नेताओं ने इस विमोचन समारोह में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित कर दिया है.

श्री तिर्की ने कहा कि महारैली की तैयारी अंतिम चरण में है और इसमें भाग लेनेवाले लोगों के स्वागत में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा, सिदधो कान्हू, वीर बुधु भगत, जयपाल सिंह मुंडा, कार्तिक उरांव, डॉ. रामदयाल मुंडा, बोनीफस लकड़ा, झालो-फूलो, सिनगी दई, नीलांबर – पीतांबर, देवेन्द्र मांझी, सरना रत्न वीरेन्द्र भगत, सरना रत्न एतो उरांव, डॉ. करमा उरांव, प्रवीण उरांव, सरना रत्न धर्म गुरु जयपाल उरांव एवं ठेवले उरांव सहित झारखण्ड के स्वतंत्रता सेनानी,

वीर आंदोलनकारी और झारखण्ड की 23 विभूतियों के नाम पर तोरण द्वार का निर्माण किया जायेगा.

महारैली को केवल ईसाई आदिवासियों की रैली के रूप में प्रचारित किया जा रहा: Bandhu Tirkey

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने इस बात की आलोचना की कि, अनेक संगठनों, नेताओं एवं राजनीतिक दलों द्वारा 4 फरवरी को आयोजित आदिवासी एकता महारैली को केवल ईसाई आदिवासियों की रैली के रूप में प्रचारित किया जा रहा है जो पूरी तरीके से गलत है. उन्होंने कहा कि भाजपा, आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों को छोड़कर यह, प्रदेश के धर्मनिरपेक्ष, समान विचारधारा और इसके साथ-साथ आदिवासियों के मामले पर बेहद गंभीर लोगों, राजनीतिक दलों एवं संगठनों की संयुक्त महारैली है और इसमें भेदभाव के बिना सभी की सहभागिता है.

उन्होंने कहा कि सरना कोड सभी आदिवासियों की मांग है लेकिन भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और दक्षिणपंथी संगठनों के साथ ही अनेक नेताओं द्वारा केवल और केवल चुनाव के दृष्टिकोण से मुद्दे को भटकाया और भड़काया जा रहा है.

आदिवासियों के मुद्दे पर हमेशा मुखर रहे और वहाँ कोई समझौता नहीं हो सकता: Bandhu Tirkey

श्री तिर्की ने कहा कि जो भी उन्हें जानते हैं उन्हें अच्छी तरीके से पता है कि अपने पूरे राजनीतिक जीवन में उन्होंने बिना किसी भेदभाव के राजनीति की है लेकिन आदिवासियों के मुद्दे पर हमेशा मुखर रहे और वहाँ कोई समझौता नहीं हो सकता. इसके साथ ही झारखण्ड की स्थानीयता, पेसा, पाँचवी अनुसूची, सीएनटी एक्ट, एसपीटी, जल, जंगल और जमीन के बचाव के साथ ही उन्होंने किसी भी आदिवासी और मूलवासी मुद्दे पर कभी भी कोई समझौता नहीं किया और ना ही करेंगे.

श्री तिर्की ने कहा कि राज्य में आदिवासियों की 32 जनजातियों के साथ ही, आदिवासी हितों के प्रति समर्पित सभी लोगों को विशेष रूप से एकजुट होकर, सरना कोड और अपनी समस्याओं को मुखरता से सामने रखना चाहिये और जीतने के लिये अपना पूरा प्रयास करने की जरूरत है.

BJP की हिंदू-मुस्लिम और दूसरी तरफ ईसाई-सरना के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश: Bandhu Tirkey

श्री तिर्की ने कहा कि तीन-चार महीने के बाद लोकसभा चुनाव और इस साल के अंत तक झारखण्ड के विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन और इसके नेता झारखण्ड में सभी मुद्दों के ध्रुवीकरण करने के साथ-साथ, एक तरफ हिंदू – मुस्लिम और दूसरी तरफ ईसाई – सरना के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.

इसके पीछे कारण यह भी है कि हाल में उन्हें छत्तीसगढ़ में इससे फायदा हुआ है और झारखण्ड में भी भाजपा और उसके नेता ऐसा ही कारनामा कर सत्ता को अपने कब्जे में लेना चाहते हैं. पर छत्तीसगढ़ वाली उनकी चाल को झारखण्ड के लोग कभी भी सफल नहीं होने देंगे क्योंकि जनता इन बातों को अच्छी तरीके से जान गयी है.

 

 

 

 

 

 

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