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Nepal में Gen Z के विरोध प्रदर्शन के बाद पीएम ओली का इस्तीफा

सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने सरकार को मजबूर किया

काठमांडू: Nepal में युवाओं, खासकर Gen Z, द्वारा चलाए गए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंधों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है।

 

तीन दिनों के भारी उथल-पुथल और हिंसक प्रदर्शनों में 21 लोगों की मौत हुई। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें अभिव्यक्ति की आजादी, एक राष्ट्रीय सरकार का गठन और भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई थी।

Nepal Gen Z Protest की शुरुआत और तात्कालिक कारण

यह आंदोलन तब भड़का जब सरकार ने फेसबुक और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बैन करने का आदेश दिया। हालांकि सरकार ने इस कदम को दबाने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने राजधानी काठमांडू सहित पूरे देश में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

यह गुस्सा केवल सोशल मीडिया बैन तक सीमित नहीं था। पिछले कुछ समय से, युवा रेडिट और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्मों का उपयोग करके मंत्रियों और उनके परिवारों की लक्जरी जीवनशैली को उजागर कर रहे थे, जिसे ‘नेपो किड्स’ ट्रेंड के नाम से जाना जाता है। सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने को इस अभियान को दबाने के प्रयास के रूप में देखा गया, जिसने आग में घी का काम किया।

Nepal Gen Z Protest: प्रदर्शनकारियों की आक्रामकता और मांगों की पूर्ति

बढ़ते दबाव के बीच, सरकार ने सोशल मीडिया से बैन हटा लिया, लेकिन इससे भी प्रदर्शनकारियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। उन्होंने प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए उनके निजी घर में आग लगा दी और संसद भवन में तोड़फोड़ की। राजधानी में “केपी चोर, देश छोड़ो” जैसे नारे लगाए गए।

हालात को बेकाबू होते देख, पीएम ओली ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल को अपना इस्तीफा भेज दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। ओली ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक समाधान और समस्याओं को हल करने के लिए यह कदम उठाया है।

आंदोलनकारियों की मुख्य मांगों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी, राजनीतिक पदों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु तय करना और भ्रष्ट नेताओं पर कड़ी कार्रवाई करना शामिल है।

नेपाली कांग्रेस का दबाव और राजनीतिक उठापटक

यह आंदोलन केवल युवाओं तक सीमित नहीं था। सत्ताधारी गठबंधन में शामिल नेपाली कांग्रेस ने भी पीएम ओली पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया था। पार्टी के महासचिव गगन थापा ने सार्वजनिक रूप से ओली से स्थिति की जिम्मेदारी लेने और पद छोड़ने को कहा था।

नेपाल में 2008 में राजतंत्र समाप्त होने के बाद से कम्युनिस्ट पार्टियां किसी न किसी रूप में सत्ता में रही हैं। यह ओली का चौथा कार्यकाल था, और वह जुलाई 2024 में ही प्रधानमंत्री बने थे। उनकी सरकार के फैसले को कई मीडिया रिपोर्ट्स में अदालत के फैसले की आड़ में अलोकतांत्रिक कदम बताया गया है।

 

 

 

 

 

 

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