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Mine Lease: हेमंत सोरेन को नहीं दी चुनाव आयोग ने 4 सप्ताह की मोहलत

मुख्यमंत्री ने किया बीजेपी के आरोपों का खंडन

Ranchi: सीएम हेमंत सोरेन को खनन लीज (Mine Lease) केस में अपना पक्ष रखने के लिए भारत चुनाव आयोग ने 10 दिन का समय दिया है. सीएम ने अपनी माता की बीमारी का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से 4 सप्ताह के अतिरिक्त समय की मांग की थी. इसकी सूचना झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक सुधीर कुमार सोनू एवं केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने दी. चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को 10 मई तक अपना पक्ष रखने का समय दिया था.

Mine Lease: मुख्यमंत्री ने किया बीजेपी के आरोपों का खंडन

सीएम ने अपने पत्र में लिखा है कि उन्हें चुनाव आयोग के तरफ से 2 मई को नोटिस मिला, जो बीजेपी की ओर से उन्हें लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 ए के अंतर्गत अयोग्य बताने के लिए दायर याचिका से संबंधित है. सीएम ने अपनी मां के बारे में बताया कि बीते 8 माह से बीमार हैं.

उन्हें बताया कि हैदराबाद के एआईजी अस्पताल के आईसीयू में 28 अप्रैल से उनका इलाज चल रहा है. इसी के चलते उन्हें हैदराबाद में रहना पड़ रहा है. स्थिति में वे विधि विशेषज्ञों से सलाह लेकर अपना पक्ष प्रभावी रूप से रखने में सक्षम नहीं है. सीएम ने उपरोक्त आधार पर कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेकर अपना पक्ष तैयार करके अधिवक्ता के जरिए से सीधी सुनवाई की मांग की है.

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जस्टिस खरे से ली झामुमो ने खनन लीज केस में सलाह

सीएम हेमंत सोरेन ने खनन लीज केस में झामुमो ने भारत के पूर्व चीफ जस्टिस वीएन खरे से परामर्श लिया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक सुधीर कुमार सोनू ने पार्टी के मुख्यालय पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस के द्वारा जानकारी दी गई है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 ए के प्रावधान उस केस में लागू नहीं होंगे, जहां प्रदेश विधानसभा के सदस्य को प्रदेश की ओर से खनन पट्टा प्रदान किया गया.

उन्होंने आगे बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से प्रदेश विधानसभा के सदस्य को दिया गया खनन पट्टा ना तो प्रदेश को माल की आपूर्ति के लिए एवं नाही कार्य निष्पादन के लिए एक समझौता या फिर इकरारनामा होगा. न्यायाधीश वीएन खरे ने अपनी सलाह के संदर्भ में हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए पूर्व के कुछ निर्णय का हवाला भी दिया है. जस्टिस वीएन खरे बताया कि 1964 में सीवीके राव बनाम दंतु भास्करा राव, 2001 में करतार सिंह बढ़ाना बनाम हरि सिंह नलवा मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का उल्लेख किया गया है.

 

 

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