UNSC अस्थायी सदस्यों को साधने में जुटा विदेश मंत्रालय, जयशंकर ने 7 देशों से की बातचीत

नई दिल्ली: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जहां आतंकी ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई के लिए कमर कस ली है, वहीं वैश्विक समुदाय को साधने की कूटनीतिक कवायद भी तेज कर दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सेना को “खुली छूट” देने के साथ ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सात अस्थायी सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों से सीधी बातचीत की है।
भारत ने UNSC अस्थायी सदस्यों से किया संपर्क
मंगलवार को जयशंकर ने जिन देशों से बात की उनमें गुयाना, ग्रीस, स्लोवेनिया, पनामा, सोमालिया, सिएरा लियोन और अल्जीरिया शामिल हैं। यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब पाकिस्तान भी UNSC का अस्थायी सदस्य है और पहलगाम हमले के बाद किसी संभावित सैन्य कार्रवाई पर भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाने की आशंका जताई जा रही है।
भारत के इस त्वरित कूटनीतिक संवाद को संभावित वैश्विक प्रतिक्रिया को संतुलित करने और आतंक के खिलाफ कार्रवाई के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
आतंक के खिलाफ सख्त रुख के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश
ग्रीस, गुयाना और स्लोवेनिया जैसे देशों के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी पहले से रही है। ग्रीस के विदेश मंत्री जॉर्ज गेरापेट्रीटिस से बातचीत में जयशंकर ने सरहद पार आतंकवाद के विरुद्ध ग्रीस के सख्त रुख की सराहना की। वहीं, अल्जीरिया के विदेश मंत्री अहमद अताफ को भारत की ओर से धन्यवाद दिया गया और जल्द ही भारत दौरे पर आमंत्रण की बात कही गई।
गुयाना के साथ संबंधों की पृष्ठभूमि में पिछले वर्ष पीएम मोदी की यात्रा विशेष रूप से उल्लेखनीय है। गुयाना के भारत में राजदूत ने दो टूक कहा कि हर देश को अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार है। स्लोवेनिया तो भारत के UNSC में स्थायी सदस्यता के समर्थन में भी रहा है।
UNSC: भारत वैश्विक समुदाय को लगातार कर रहा है संबोधित
22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद से ही भारत ने वैश्विक स्तर पर संवाद तेज कर दिया है। शुरुआती दो दिनों में ही प्रधानमंत्री मोदी ने 16 देशों के राष्ट्राध्यक्षों से बात की थी, वहीं जयशंकर अब तक 25 देशों के विदेश मंत्रियों से संपर्क कर चुके हैं। यह दर्शाता है कि भारत इस बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहले से कहीं अधिक संगठित और सक्रिय रणनीति अपना रहा है।
पाकिस्तान भी कर रहा समानांतर कूटनीति, परमाणु युद्ध की आशंका का जिक्र
दूसरी ओर पाकिस्तान भी वैश्विक समर्थन जुटाने की कोशिश में जुटा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने बहरीन, कुवैत और हंगरी के विदेश मंत्रियों से संपर्क किया। हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सीजार्टो ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि दुनिया आतंकवाद को लेकर चिंतित है, लेकिन दो परमाणु शक्तियों के बीच युद्ध दुनिया सहन नहीं कर सकती। पाकिस्तान की यह रणनीति संभावित युद्ध की भयावहता को दिखाकर समर्थन हासिल करने की है।
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