Paris Olympics में क्या पुरुष का मैच हुआ महिला बाॅक्सर से?
Paris: Paris Olympics 2024 में एक बॉक्सिंग मुकाबला विवादों का केंद्र बन गया है. महिलाओं की वेल्टरवेट कैटेगरी के प्री-क्वार्टर फाइनल में इटली की बॉक्सर एंजेला कारिनी और अल्जीरिया की बॉक्सर इमान खलीफ के बीच हुए मैच के बाद से ही जेंडर को लेकर सवाल उठने लगे.
Who Is Imane Khelif? Meet the Algerian Olympic Boxer Vying for Gold After First Fight Sparked Gender Controversy https://t.co/i1fS1otdVF
— People (@people) August 2, 2024
एंजेला कारिनी ने मैच बीच में ही छोड़ दिया था और इमान खलीफ ने 46 सेकंड में जीत हासिल कर ली थी. इसके बाद आरोप लगाए गए कि महिला बॉक्सर का मुकाबला पुरुष मुक्केबाज से कराया गया है.
Paris Olympics: एंथनी फॉलर ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की
दरअसल इमान खलीफ पहले भी जेंडर विवादों में फंस चुकी हैं. उन्हें 2023 बॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप के गोल्ड मेडल मैच से ठीक पहले जेंडर के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था। लेकिन इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी ने उन्हें पेरिस ओलंपिक 2024 में खेलने की अनुमति दी थी. अब उनके पहले ही राउंड के मैच के बाद यह विवाद फिर से गरमा गया है. पूर्व ब्रिटिश बॉक्सर एंथनी फॉलर ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की है.
आईओसी ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि ओलंपिक खेल पेरिस 2024 में भाग लेने वाले सभी एथलीट प्रतियोगिता की एलिजिबिलिटी और प्रवेश नियमों का पालन करते हैं. पेरिस 2024 मुक्केबाजी इकाई ने टोक्यो 2020 के नियमों को आधार बनाकर अपने नियम बनाए जिससे एथलीटों की तैयारी पर कोई प्रभाव न पड़े और ओलंपिक खेलों के बीच निरंतरता बनी रहे. आईओसी के अनुसार एथलीटों का लिंग और आयु उनके पासपोर्ट पर आधारित है और यह नियम रियो 2016 और टोक्यो 2020 ओलंपिक में भी लागू थे.
Paris Olympics: आईओसी ने इस बात पर भी अफसोस जताया
आईओसी ने स्पष्ट किया कि पेरिस ओलंपिक 2024 में किसी पुरुष और महिला बॉक्सर के बीच मुकाबला नहीं कराया गया. दोनों एथलीट महिला वर्ग में लंबे समय से अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेती आ रही हैं जिसमें टोक्यो 2020 ओलंपिक और अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ वर्ल्ड चैंपियनशिप शामिल हैं. आईओसी ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि 2023 में आईबीए वर्ल्ड चैंपियनशिप के अंत में इन एथलीटों को अचानक और बिना किसी उचित प्रक्रिया के अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
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यह विवाद स्पष्ट रूप से दिखाता है कि खेल के मैदान में सिर्फ प्रदर्शन ही नहीं बल्कि खेल के नियम और नैतिकता भी कितनी महत्वपूर्ण हैं. आईओसी के बयान के बाद उम्मीद की जा सकती है कि इस मुद्दे पर अब कुछ शांति स्थापित होगी और एथलीट बिना किसी भेदभाव के अपने प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे.