Ranchi: माननीया राष्ट्रपति श्रीमती Draupadi Murmu आज बिरसा मुंडा स्टेडियम, खूंटी में आयोजित महिला स्वयं सहायता समूह सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप मे शामिल हुईं।
झारखंड जैसे क्षेत्रों में, मानव समुदाय को तथा जीव-जंतुओं और वनस्पतियों को एक समान महत्व दिया गया है। इसीलिए, यहां के लोगों की मूल विचारधारा में समस्त प्रकृति एवं जीव जगत के लिए स्नेह, सम्मान एवं संरक्षण की भावना दिखाई देती है। pic.twitter.com/LDWr1sg9av
— President of India (@rashtrapatibhvn) May 25, 2023
इस अवसर पर माननीया राष्ट्रपति ने स्वयं सहायता समूह की दीदियों द्वारा लगाए गए स्टॉल्स का भ्रमण किया और उनके साथ सीधा संवाद किया।
सम्मेलन में माननीय राज्यपाल श्री सी. पी. राधाकृष्णन, माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन, जनजातीय कार्य मंत्रालय के माननीय केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, जनजातीय कार्य मंत्रालय के माननीया केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरूता, झारखंड सरकार में माननीया मंत्री श्रीमती जोबा मांझी, माननीय विधायक श्री कोचे मुंडा, माननीय विधायक श्री नीलकंठ सिंह मुंडा, माननीय विधायक श्री विकास सिंह मुंडा एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री माननीय श्री कड़िया मुंडा समेत कई गणमान्य उपस्थित रहे।
आदिवासी समाज को आगे बढ़ाने का संकल्प: Draupadi Murmu
आदिवासी समाज अपनी संस्कृति, सभ्यता, भाषा, परंपरा और पहचान के साथ निरंतर आगे बढ़े। आदिवासियों को पूरा मान- सम्मान और अधिकार मिले, इसका हमने संकल्प ले रखा है । इस दिशा में राज्य सरकार हर मोर्चे पर केंद्र सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार है । मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन आज बिरसा मुंडा स्टेडियम, खूंटी में आयोजित महिला स्वयं सहायता समूह सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय आर्थिक रूप से कैसे समृद्ध हो । इस पर हम सभी को गंभीरता से विचार करते हुए धरातल पर कार्य करना होगा।
आदिवासी अपने पैरों पर खड़ा होने की कर रहे जद्दोजहद: Draupadi Murmu
मुख्यमंत्री ने कहा कि माननीया राष्ट्रपति की उपस्थिति में भगवान बिरसा मुंडा की पावन भूमि पर आज महिला सम्मेलन का आयोजन हो रहा है । इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के मंत्रीगण एवं अधिकारी गण यहां मौजूद हैं। हम सभी के लिए यह गौरव की बात है। मैं यहां बताना चाहूंगा कि आदिवासियों के लिए केंद्र और राज्य सरकार निरंतर कार्य कर रही है, लेकिन उसका जो प्रभाव परिलक्षित होना चाहिए, वह नहीं दिख रहा है। आज भी वे अपने पैरों पर खड़ा होने और आय स्रोत बढ़ाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। ऐसे में आदिवासी समाज आर्थिक रूप से कैसे समृद्ध हो, इस पर हम सभी को गंभीरता के साथ मंथन करने की जरूरत है।
कई चुनौतियों से संघर्ष कर रहा है आदिवासी समुदाय: Draupadi Murmu
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड अलग राज्य गठन के 22 वर्ष हो चुके हैं ।लेकिन आदिवासियों के हित में विकास के जो कार्य होने चाहिए, वे नहीं हुए हैं। वे आज भी कई चुनौतियों से संघर्ष कर रहे हैं । विस्थापन का दंश झेलने के साथ पलायन करने को मजबूर हैं । मुझे कोरोना काल में पता चला कि यहां से बड़ी संख्या में लोगों का पलायन वर्षों से होता आ रहा है । ऐसे में हमारी सरकार ने इस विषय पर व्यापक रूप से चिंतन- मंथन करते हुए उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में लगातार काम कर रही है।
जल जंगल जमीन एवं खनिज संसाधन से प्रचुर होने के बाद भी पिछड़े हैं: Draupadi Murmu
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जंगल जमीन झारखंड की पहचान है । हमारे यहां तमाम खनिज संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। इन्हीं खनिज संसाधनों की बदौलत आज पूरा देश रोशन हो रहा है ।लेकिन, झारखंड की गिनती पिछड़े राज्यों में होती है । आखिर ऐसा क्यों ? यह हम सभी को सोचने -समझने की जरूरत है । झारखंड कैसे आगे बढ़े ? इसके लिए हमारी सरकार लगातार ठोस कदम उठा रही है,।
जमीनी हकीकत को समझने का कर रहे प्रयास: Draupadi Murmu
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों के विकास से जुड़ी गाथा को विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान स्टॉल एवं अन्य माध्यमों से दिखाने का कार्य अधिकारीगण करते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है। इसी बात को ध्यान में रखकर मैं जब भी किसी कार्यक्रम में जाता हूं तो वहां की “झांकी” को आगे की बजाए पीछे के पर्दे से देखना चाहता हूं ,ताकि असलियत जान सकूं और उससे जुड़ी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में आगे बढ़ सके।
वन उपजों का वाजिब मूल्य मिले, उठा रहे ठोस कदम: Draupadi Murmu
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के 14 हज़ार से ज्यादा ऐसे गांव हैं, जो वन उपज से सीधे जुड़े हुए हैं । लाह, इमली, करंज और शहद जैसे कई वन उपज का उत्पादन कर रहे हैं। लेकिन, उन्हें एमएसपी तय नहीं होने से बाजार मुल्य से काफी कम कीमत मिलती है। यहां बिचौलिया हावी हैं । हमारी सरकार ने सिदो कान्हू कृषि एवं वनोपज फेडरेशन का गठन किया है। इसके माध्यम से उनके वन उपज को एकत्रित किया जाएगा और किसानों को इसका बाजार मूल्य देने का काम करेंगे ।
वन उपजों के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की जरूरत: Draupadi Murmu
मुख्यमंत्री ने वन उपज के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर जोर दिया ।ताकि, इसका बेहतर तरीके से इस्तेमाल और सदुपयोग हो सके । उन्होंने कहा कि इस दिशा में जल्द ही किसान मेले का आयोजन होगा और किसानों को इससे संबंधित जानकारी और प्रशिक्षण दिया जाएगा।
लैम्प्स -पैक्स एवं वन समिति को कर रहे मजबूत: Draupadi Murmu
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिदो कान्हू कृषि एवं वनोपज फेडरेशन के माध्यम से लैम्प्स -पैक्स एवं वन समिति को मजबूत कर रहे हैं । इस दिशा में राशि उपलब्ध करा दी गई है। इसके साथ महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा उत्पादित उत्पादों को पलाश ब्रांड के जरिए बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि पलाश ब्रांड के तहत महिला स्वयं सहायता समूह के उत्पादों की मांग जिस तेजी से बढ़ रही है, उसकी तुलना में उत्पादन नहीं हो रहा है । ऐसे में उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में भी हम कदम पढ़ा रहे हैं ,ताकि इसका लाभ लोगों को मिल सके।
सरना धर्म कोड और हो मुंडारी एवं कुड़ुख़ भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए: Draupadi Murmu
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर केंद्र सरकार से सरना धर्म कोड लागू करने और हो, मुंडारी और कुड़ुख़ भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की दिशा में पहल करने की मांग की । उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की अस्मिता और पहचान को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है, क्योंकि यह उनके मान -सम्मान के साथ जुड़ा हुआ है।
इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव श्री अनिल कुमार झा, भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राईफेड) के मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीमती गीतांजलि गुप्ता और महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं हजारों महिलाएं मौजूद थीं।