रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में करारी हार के बाद (Jharkhand Politics) सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन राजनीतिक पटल से लगभग गायब हैं। लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव में मिली शिकस्त ने उनके सियासी भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। भाजपा ने उन्हें सोरेन परिवार के खिलाफ एक बड़े चेहरे के तौर पर पेश किया था लेकिन अब उनकी भूमिका को लेकर सस्पेंस गहरा गया है।

दोहरी हार से लगा झटका
सीता सोरेन के लिए यह साल राजनीतिक रूप से बेहद कठिन रहा। पहले उन्होंने दुमका सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गईं। इसके बाद जामताड़ा विधानसभा सीट से भी उन्हें कांग्रेस के इरफान अंसारी के हाथों 43,000 से अधिक वोटों के बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा। लगातार दो हार ने पार्टी के भीतर उनके कद को कमजोर कर दिया है।
बैठकों से दूरी और अटकलों का बाजार
चुनाव परिणामों के बाद से सीता सोरेन सार्वजनिक मंचों पर कम ही नजर आ रही हैं। हाल ही में हुई भाजपा की समीक्षा बैठकों से भी उनकी दूरी ने सियासी गलियारों में नई चर्चा छेड़ दी है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या वे भाजपा में सहज महसूस नहीं कर रही हैं? कुछ राजनीतिक विश्लेषक तो यहां तक कयास लगा रहे हैं कि क्या उनकी ‘घर वापसी’ (JMM में वापसी) की कोई संभावना बन सकती है, हालांकि अभी तक उनकी तरफ से ऐसा कोई संकेत नहीं दिया गया है।
भाजपा के लिए अब कितनी अहम?
भाजपा ने सीता सोरेन को पार्टी में लाकर ‘संथाल परगना’ में हेमंत सोरेन को घेरने की रणनीति बनाई थी। लेकिन चुनाव परिणामों ने साबित कर दिया कि यह दांव उल्टा पड़ गया। जामताड़ा में ‘घुसपैठ’ और ‘महिला सम्मान’ के मुद्दे भी उन्हें जीत नहीं दिला सके। अब सवाल यह है कि क्या भाजपा उन्हें संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी या उन्हें हाशिए पर ही रहना होगा? फिलहाल, पार्टी और सीता सोरेन दोनों ही अपने अगले कदम को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।
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