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NDA में रहकर भी ‘स्वतंत्र चाल’: बहुजन भीम संवाद से Chirag Paswan की सियासी नई बिसात

पटना: Chirag Paswan: बिहार में राजनीतिक तापमान एक बार फिर चढ़ने लगा है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने राज्य विधानसभा चुनाव से पहले एक नई राजनीतिक चाल चल दी है।

एनडीए में बने रहते हुए उन्होंने ‘बहुजन भीम संवाद’ के नाम से अलग जनसंपर्क अभियान शुरू करने की घोषणा की है, जिससे साफ संकेत मिलते हैं कि वे गठबंधन के भीतर अपनी ताकत का सार्वजनिक प्रदर्शन करना चाहते हैं।

Chirag Paswan: NDA में रहकर भी अलग पहचान की कवायद

लोजपा-आर ने शुक्रवार को पटना में हुई बैठक में तय किया कि पार्टी विभिन्न जिलों में बहुजन समुदायों को जोड़ने के लिए ‘बहुजन भीम संवाद’ आयोजित करेगी। पार्टी का कहना है कि वह एनडीए का हिस्सा बनी रहेगी, लेकिन “स्वतंत्र पहचान के साथ भागीदारी” निभाएगी।
यह संदेश बीजेपी और जेडीयू को यह बताने के रूप में देखा जा रहा है कि सीट बंटवारे में लोजपा-आर को हल्के में न लिया जाए

NDA में दिख रहा अंतर्विरोध?

एक तरफ भाजपा सामूहिक NDA प्रचार की बात करती रही है, वहीं अब उसके घटक दल अलग-अलग जातीय समूहों को साधने लगे हैं:

  • लोजपा-आर ‘बहुजन भीम संवाद’ कर रही है।
  • बीजेपी ‘निषाद सम्मेलन’ आयोजित करने जा रही है।

इन गतिविधियों से यह साफ होता है कि एनडीए के भीतर सामंजस्यपूर्ण रणनीति की कमी है और सहयोगी दल अपनी-अपनी चुनावी जमीन मजबूत करने में जुटे हैं।

2020 की रणनीति की पुनरावृत्ति?

2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने जेडीयू के खिलाफ अकेले चुनाव लड़कर कई सीटों पर जेडीयू को नुकसान पहुंचाया था।

  • उन्होंने नीतीश कुमार की सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे।
  • खुद को पीएम नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ बताकर भाजपा से निकटता बनाए रखी।

हालांकि पार्टी को सीमित सफलता मिली, लेकिन जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी बन गई और सत्ता संतुलन बिगड़ा।

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Chirag Paswan News: 10 सूत्रीय प्रस्ताव, सम्मानजनक सीटों की मांग

पटना बैठक में लोजपा-आर ने 10 सूत्रीय प्रस्ताव भी पारित किए हैं। इनमें सामाजिक न्याय, बहुजन अधिकार, और राजनीतिक प्रतिनिधित्व जैसे मुद्दों पर फोकस है। सूत्रों के अनुसार, चिराग पासवान का उद्देश्य है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी को एनडीए के भीतर “सम्मानजनक सीट शेयर” मिले।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस संवाद श्रृंखला के जरिए चिराग पासवान भाजपा-जेडीयू को यह संकेत देना चाहते हैं कि:

  • वे ज़मीन पर काम कर रहे हैं।
  • बहुजन समुदायों में पकड़ बना रहे हैं।
  • और सीट बंटवारे के समय “डील ब्रेकर” की स्थिति में रहेंगे

क्या Chirag Paswan को बहुजन कार्ड से मिलेगी मजबूती?

चिराग पासवान की पार्टी की जनाधार सीमित जरूर है, लेकिन दलित, महादलित और पिछड़ी जातियों के एक हिस्से में उनकी पकड़ मानी जाती है।
‘बहुजन भीम संवाद’ के जरिए वे खुद को रामविलास पासवान की बहुजन विरासत के वारिस के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।

बिहार की राजनीति में जातीय गणित और सामाजिक समीकरण ही अक्सर चुनावी नतीजे तय करते हैं। ऐसे में चिराग पासवान की यह रणनीति:

  • उन्हें एनडीए के भीतर सौदेबाजी की बेहतर स्थिति में ला सकती है।
  • या फिर यदि गठबंधन की बातचीत बिगड़ती है, तो स्वतंत्र सियासी विकल्प के लिए जमीन तैयार कर सकती है।

 

 

 

 

 

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