
Ranchi: आज झारखण्ड के महाधिवक्ता के प्रेस कांफ्रेंस पर BJP विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सुधीर श्रीवास्तव ने कहा की जिस प्रकार महाधिवक्ता सरकार का गुणगान कर रहे हैं उससे वो महाधिवक्ता कम झामुमो के विधि प्रकोष्ठ के कार्यकर्त्ता ज्यादा लग रहे हैं.
हेमंत सरकार राजनीतिक लड़ाई लड़ने में सक्षम नहीं है- BJP
महाधिवक्ता एक संवैधानिक पद होता है और उस पद की गरिमा होती है| महाधिवक्ता ने जिस प्रकार संवैधानिक पद को ताक पर रखकर आज सरकार का गुणगान कर रहे थे उससे स्पष्ट हो गया है की हेमंत सरकार राजनीतिक लड़ाई लड़ने में सक्षम नहीं है, अब हेमंत सरकार नेताओं के बदले अपने अफसरों एवं महाधिवक्ता को आगे कर के राजनितिक लड़ाई लड़ रही हैं.
सुधीर श्रीवास्तव ने बताया की अभी हाल ही में सरकार के झारखण्ड कैबिनेट सचिवालय सतर्कर्ता विभाग के प्रधान सचिव वंदना डडेल ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर भाजपा नेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी| आज महाधिवक्ता ने कहा की देश झारखण्ड देश का पहला राज्य है जहाँ वकीलों को सरकार अपनी योजनाओ से जोड़कर आर्थिक रूप से मजबूत कर रही है.
हेमंत सरकार ने 2021 में कोर्ट फीस में दस गुना वृद्धि की थी- BJP
महाधिवक्ता को यह भी बताना चाहिए की पहली बार है की सरकार के किसी कार्य का गुणगान महाधिवक्ता हाई कोर्ट परिसर के अन्दर प्रेस कांफ्रेंस कर के कर रहे हैं| सुधीर श्रीवास्तव ने कहा की महाधिवक्ता को यह भी बताना चाहिए की हेमंत सरकार ने 2021 में कोर्ट फीस में दस गुना वृद्धि की थी और तब अधिवक्ताओं ने कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया था और उस वक्त महाधिवक्ता ने अधिवक्ताओं के कार्य बहिष्कार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया था.
6 और 7 जनवरी 2023 को बार काउंसिल के निर्देश पर 35000 से ज्यादा अधिवक्ता अदालती करवाई का बहिष्कार करने का निर्णय लिए थे दूसरी तरफ महाधिवक्ता ने राज्य सरकार के सभी अधिवक्ताओं को 6 जनवरी 2023 को निर्देश दिये थे की कोर्ट में जाकर काम करें और 7 जनवरी को मुख्यमंत्री को ओर से आयोजित संवाद में सभी जिलो के सरकारी अधिवक्ताओं को कार्यक्रम में हिस्सा लेने का निर्देश दिए थे.
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महाधिवक्ता को यह भी बताना चाहिए की हेमंत सरकार में कितने अधिवक्ताओं का हत्या हुआ और कितने अधिवक्ताओं पर केस दर्ज हुए| हेमंत सरकार के अब ऊँगली पर दिन बचे हैं तो महाधिवक्ता को भी अपना पद उंगली पर गिनना शुरू कर देना चाहिए|
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