भारत की स्टार जिम्नास्ट Dipa Karmakar ने प्रोफेशनल जिमनास्टिक से संन्यास की घोषणा कर दी है, जिससे खेल जगत में एक युग का अंत हो गया।
🚨Dipa Karmakar announced her retirement.
– She had finished the 4th at the Rio Olympics 2016 and missed medal by 0.15 Points
– One of the only five women in the world who have successfully landed the Produnova.Congratulations on the Incredible Career!! 🇮🇳🫡 pic.twitter.com/AQBOU5Ng9J
— The Khel India (@TheKhelIndia) October 7, 2024
25 साल के लंबे करियर में दीपा ने भारत को विश्व मंच पर पहचान दिलाई, कई प्रतिष्ठित मेडल जीते और भारत का नाम गौरवान्वित किया। अपनी विदाई के दौरान दीपा ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट शेयर करते हुए कहा, “जिमनास्टिक मेरी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा रहा है, और मैं हर पल के लिए आभारी हूं – उतार-चढ़ाव और बीच के हर अनुभव के लिए।”
Dipa Karmakar ने विश्व कप में दिलाया गोल्ड:
दीपा ने अपने करियर में तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए भारत के लिए कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। 2018 में तुर्की में आयोजित कलात्मक जिमनास्टिक वर्ल्ड कप में उन्होंने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा और इस टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय जिमनास्ट बनीं। इसके बाद, 2021 में ताशकंद में एशियाई जिमनास्टिक चैंपियनशिप में उन्होंने एक और गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया।
Dipa Karmakar: ओलंपिक में ऐतिहासिक प्रदर्शन
दीपा करमाकर का सबसे यादगार क्षण 2016 के रियो ओलंपिक में आया, जब उन्होंने वॉल्ट इवेंट के फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट बनीं और चौथे स्थान पर रहते हुए देश को गर्वित किया। हालांकि वह मेडल से चूक गईं, लेकिन उनका प्रदर्शन भारतीय खेल इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया।
सम्मान और पुरस्कार:
दीपा करमाकर को उनकी उत्कृष्ट खेल उपलब्धियों के लिए कई सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। इनमें पद्म श्री, अर्जुन पुरस्कार और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार शामिल हैं। फोर्ब्स की 30 अंडर 30 सुपर अचीवर्स की लिस्ट में शामिल होकर उन्होंने अपने करियर में एक और मील का पत्थर स्थापित किया।
संन्यास का फैसला:
अपने रिटायरमेंट पोस्ट में दीपा ने लिखा कि यह फैसला उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने सही समय पर इसे लेने का फैसला किया। उनका संन्यास भारतीय जिम्नास्टिक में एक बड़ी क्षति है, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत आने वाले जिमनास्ट्स को प्रेरित करती रहेगी।
दीपा करमाकर का सफर भारतीय खेलों में मील का पत्थर साबित हुआ है और उनकी उपलब्धियों से प्रेरणा लेकर नई पीढ़ी के जिमनास्ट्स भारतीय ध्वज को ऊंचा करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।