
Patna: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के पांच दिन बीत जाने के बाद भी किसी भी राजनीतिक दल ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर कोई शिकायत या आपत्ति दर्ज नहीं कराई है।
जबकि ड्राफ्ट सूची में लगभग 65 लाख लोगों के नाम कटे हैं, इसको लेकर महागठबंधन के दल खासकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस ने चुनाव आयोग को अक्सर घेरा था।
ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर राजनीतिक दलों की स्थिति
बिहार में कुल 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लगभग 1,60,813 बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त हैं, जिसमें आरजेडी के 47,506, कांग्रेस के 17,549 और वाम दलों के 2,000 से अधिक अभ्यर्थी शामिल हैं। बावजूद इसके पांच दिन में किसी दल ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है।
मतदाता दावा-आपत्ति की संख्या
चुनाव आयोग के अनुसार, अब तक 15,000 से अधिक लोगों ने फॉर्म छह के माध्यम से अपना नाम जोड़ने के लिए आवेदन किया है। इसके अलावा, 1 अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट मतदाता सूची पर लगभग 3,000 लोगों ने दावा-आपत्ति दर्ज कराई है, जिसमें योग्य लोगों के नाम जोड़ने और अयोग्य लोगों के नाम हटाने की मांग की गई है।
आवेदन की प्रक्रिया और निस्तारण
बिहार सरकार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने बताया कि संबंधित जिला स्तरीय अधिकारियों को सात दिनों की अवधि में इन दावों पर विचार कर निस्तारण करना होगा।
नया ईपिक वितरण
चुनाव आयोग ने साफ किया है कि बिहार के सभी मतदाताओं को आगामी चुनाव से पहले नया ई-पermanent identity card (ईपिक) दिया जाएगा। हालांकि अभी तक ईपिक वितरण के लिए कोई निश्चित कार्यक्रम घोषित नहीं किया गया है।
अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन
एक सितंबर 2025 तक दावा-आपत्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद अगले 30 दिनों में मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा, जो 30 सितंबर को सार्वजनिक किया जाएगा।
65 लाख से अधिक मतदाताओं का नाम कटने के बीच राजनीतिक दलों की चुप्पी और कम शिकायतों ने मतदाता सूची निर्माण की एक नई कहानी लिखी है। दावा-आपत्ति की बढ़ती संख्या और नए ईपिक के वितरण से यह सुनिश्चित होगा कि बिहार विधानसभा चुनाव तक मतदाता सूची अधिक पारदर्शी और सटीक बने।



